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हर ख्याल तेरा ,
एक सपना दिखा जाता है
जो ज़िन्दगी हम जी न सके
उसकी याद दिला जाता है !
याद - Memories |
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इज़हार |
यूँ ही राहों में मिल गया कोई
अधूरी कहानी को पूरा कर गया कोई
एहसास न था के कितने अकेले है हम
दो कदम साथ चल के ये जता गया कोई !
अपनी खूबसूरती से तो वाकिफ न थे हम
आँखों में आँखें डाल शीशा दिखा गया कोई !
अच्छा समय बिता साथ रह के जिसके
उसी वक़्त का इंतज़ार सीखा गया कोई !
प्यार होता है क्या निभाते है कैसे ?
इज़हार करके निभाना सीखा गया कोई !
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ऐसा एक हिन्दुस्तान बने
जहां हर दुःख का समाधान रहे
हो एक दूसरे में निस्वार्थ प्रेम
और आपस में सब मिलकर रहे ।
जहां ऊंच नीच का फर्क न हो
न काले गोरे का भेद रहे
क्या हिन्दू और क्या मुसल्मा
सब में भाईचारा रहे ।
बेटियां भी हो बेटो के समान
दोनों को बराबर प्रेम मिले
न दान दहेज़ की हो चिंता
माता पिता भी निश्चिन्त रहे ।
मिले सबको एक समान अधिकार
अमीर - गरीब न आपस में लड़े
हो आदर,कर्त्तव्य और प्रेम जहां
ऐसा एक हिंदुस्तान बने।।
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क्या जूनून क्या आशिक़ी थी
हमने भी कभी मोहब्बत की थी ।
रहते थे जिसके खयालो में गुम
वही तो असली ज़िन्दगी थी।।
मर्ज़ी नहीं |
अब दिल मेरा ये भर गया , हर बात से मुकर गया ,
कुछ न पूछो यारो मुझसे मेरा मन हर जगह से उठ गया
जो मिला वही बदल गया , दिखा के सपने सुनहरे चल दिया
क्या उम्मीद करे किस्मत से हम जहाँ ठहरे वही दिन ढल गया
हर आह पे एक आह है अब दर्द भी शर्मसार है ,
कितना मिला है ये मुझे न इसको कुछ अनुमान है
कुछ कहने की तम्मना नहीं ! ये ज़िन्दगी अब अपनी नहीं ,
जो चाहा कभी हुआ नहीं , अब अपनी कोई मर्ज़ी नहीं ।।
** जिंदगी - नाटक और किरदार ** |
जिंदगी हर कदम एक नया मोड है
क्या होगा कल बस यही प्रश्न है !
है कभी पहेली तो कभी जिज्ञासा
कभी काली रात तो कभी उजियारा
कभी हंसा दिया तो कभी रुला दिया
बच्चे जैसे मन मेरा ज़िन्दगी ने उलझा दिया
कराके रिश्तों की पहचान मुझे
आँखों से पर्दा हटा दिया
इस जीवन के कितने रंग
और कितने ही पहलु है
जीना है बस यही जीवन
फिर क्यू इतने रूप इसने बदले है
कितने संघर्ष और कितने दिन
क्या कुछ भी है ज्ञात इसे
अबतो आदत पड गयी
जीना है हर हाल इसे !
फिर भी एक तस्सली है
हर रात की सुबह होती है
जीना तो ज़िन्दगी ने सीखा दिया
प्रेम और द्वेष में फर्क दिखा दिया
दिखा दिए सबने अपने रंग
चलना है बस अपने दम
है इसमें भी एक अपना मज़ा
खेल इसका अब समझ आने लगा
पूरा कर मेरा अरमान
करादे अपनी पहचान
या कहदू तुझे फरेब मैं
ज़िन्दगी एक नाटक
और इसका किरदार मैं ।
कुछ ऐसे ही |
किसी से इश्क़ होना गुनाह नहीं है
हर कसूर की सजा मिले ज़रूरी नहीं है ,
यह चाहत ही कुछ ऐसी है जनाब !
जिससे हो जाये उससे शिकायत नहीं है।
हर बात सबसे कहे मुनासिफ नहीं है
बस हाले दिल बयान करे तो ही सही है ,
ये आदत ही कुछ ऐसी है जनाब !
मिले जिससे दिल बस विश्वास वही है ।
हर राह पे हो फूल मुमकिन तो नहीं है
ठोकरो के बिना जीत मिले तो वो जीत नहीं है ,
ये जिंदगी ही कुछ ऐसी है जनाब !
कांटे हो जहाँ मिलता फूल वही है ।।
प्रकृति से मिलन |
ऐ दिल चल प्रकृति से मिले
जहाँ पूरी हो मेरी तमन्ना
और चित मेरा प्रसन रहे
हो इश्वरिये शक्ति का एहसास जहाँ
और उसकी रचनाओं से मन जुड़ता रहे
जहाँ मिले असीम सुकून
और दमकता आसमान रहे
धरती जहाँ हो हरयाली लपेटे
और पेड़ फल फूलो से लदे रहे
हो खिली धूप पत्तो से झांकती
और कल कल करती नदिया बहे
नंगे पाओं चल सकू जहाँ में
घास , पुष्प पर ओस दिखे
सुनाई दे जहाँ चिड़ियों की चहक
और पपीहे की पीहू रहे
साथ रहे कोयल की कुहुक
और गूंजती मेरी आवाज़ रहे
हो दरख्त जहाँ गगन चूमते
और भूमि को आकाश मिले
हो तारे नभ में बिछे हुए
और जुगनू धरती पर जलते दिखे
तिलक लगाउ उस मिट्टी से
जो वन उपवन से मुझे मिले
ओढ़ लू मैं वो रंग केसरी
जो उगते सूरज में मुझे दिखे
सजा लू बालों मैं वनफूल
और लाली गुलाब से ले लू मैं
दूध से झरने में नहाके
अंतर मन को पावन करलू मैं
सुन्दर पुष्पों से करके श्रृंगार
फिरसे मन में उमंगें भरलू
ऐ दिल चल प्रकृति से मिले
जहाँ धरती पे मैं स्वर्ग को पा लू
देख लू मैं कुदरत का करिश्मा
और गोद में उसकी खुद को छुपा लू l
Kagazi Izhaar |
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ये कलम जो मेरे हाथ है
प्यारा इसी का साथ है
इससे इश्क़ मुझे हो गया ,
नाम जो तेरा इसने लिख दिया !
बस ज़िक्र तेरा शुरू हो गया
और ये कागज़ समझो भर गया
न कुछ था ख्याल में मेरे
अब क्या - क्या लिखू सवाल है मेरे !
आके बता दे तू मुझे
लिखू तेरे प्यारे सुनहरे पल
या लिखू तेरे जीने के अरमान पूरे
कहाँ से शुरू करू कहाँ पे ख़तम
थक जाएँगी कलम मेरी लिख के तेरे रंग !
बस इतना ही लिखती हूँ
तेरा आना जैसे मुकम्मल दुआं
और जाना तेरा
ले जाएगी मेरी जान पिया !
जीने की चाह |
एक कशमश सी है ज़िन्दगी
क्यों इतनी अजीब सी है ज़िन्दगी
जो चाहा वो पाया नहीं
जो होना था हुआ नहीं।
किस बात का गुमान करे
ज़िन्दगी किसी की सगी तो नहीं
हर बात पे आहें भरते है
इसकी लिखी ही करते है।
क्या कहे ये कड़वा सच है ,
गुलाब सी ज़िन्दगी काँटों से घिरी है ।
कभी लगे समुन्द्र सी शांत
विशाल गहरी और जिंदगी लिए हुए
जिसका थाह न लगाया जा सके
ज़िन्दगी के रंग तो बहुत है दोस्तो
पर सबकी ज़िन्दगी लगती बेरंग है
किसी न किसी वजह से परेशान है हर कोई
देखना है और जीतना है हर चाल को इसकी
क्या पता थक जाये ये अपनी आदतों से
और जीत जाये हम ज़िन्दगी को जीने की चाह में !
फिर भी लगे जैसे प्रभु तू संग रहा !
तेरे होने का एहसास मुझे ऐसा लगे ,
मानो अँधेरी राह में भी दिए जल रहे ।
बेज़ार |
क्या लिखा है तूने कभी पढ़ लिया होता ,
मुझे ज़िन्दगी देने से पहले
तू भी इसे जी लिया होता ।
एक एहसान मुझपे भी कर दिया होता
कभी मेरे साथ आके
तू भी रह लिया होता ।
समझते हम भी तुझको ऐ ...खुदा !
ये जीवन भी तूने
अगर जी लिया होता ।
जब दूर तक कोई दिखाई नहीं देता ,
फिर तुझे भी अपनी किये
पे पछतावा होता ।
बस एक जवाब देदे मेरे खुदा मुझे ,
तेरी ज़िन्दगी क्यों मुझको
बेज़ार सी लगे ।
Mulaakat |
सपनो में ही सही
मुलाकात तो हुई
जो तुमसे कहने थी ,
वो बात तो हुई ।
माना के सपना था मेरा
जिसमे तुझसे मिल लिए ,
एक अरसे बाद ही सही
तेरी बाहों में सो लिए।
मुस्कुराती शक़ल तेरी
फिर आंखों में बस गयी
एक रात में ही मानो ,
मैंने कई सादिया जी ली ।
ऐसा ही कोई सपना
मेरे यार फिर दिखे
मैं सामने बैठु तेरे ,
तू मुझे देखता रहे !!
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Kehta Hai Dil |
आना है लौट के तुझे कहता है मेरा दिल
ऐसी कोई राह नहीं जिसकी नहीं मंज़िल
रहना है तेरे साथ ही कहता है मेरा दिल
ऐसी धरती नहीं कहीं जिसका आस्मां नहीं
प्यार है तुझसे ही कहता है है मेरा दिल
ऐसा कोई हृदय नहीं जिसमे बसता कोई नहीं
है उमीदे तुझसे ही कहता है मेरा दिल
ऐसी कोई रात नहीं जिसकी होती सुबह नहीं
इंतज़ार है तुझको भी कहता है मेरा दिल
ऐसा कोई शख्स नहीं जिसको मोहब्बत नहीं ।।
जो हर दिल को अज़ीज़ है ।
जिसको हो जाये ये ,
वो बड़ा ही खुशनसीब है ।
एक अलग दुनिया ,
एक नयी उम्मीद है ।
सभी रंगों से जो मिलके बने ,
एक नायाब तस्वीर है !
जो दिल के बेहद करीब है ,
उसी का नाम तो इश्क़ है ।
एक ख्याल ,एक ख़्वाब
और एक नई रौशनी है ! !
कान्हा तुझ संग जो प्रीत लगी ।
ये दुनियादारी सब झूठ लगे !
होता तुझपे ऐतबार मुझे !
अबतो अपनी शरण में लेलो ।
भगवन ! मुझको भी दर्शन देदो ।।
Kindly Listen Short Bhajan On Shri Krishna
जीवन सफ़र |
किसी को मिली धूप
तो किसी को छाँव मिल गयी ,
किसी को हरयाली ज़मीन
तो किसी को बंज़र मिल गयी ।
दोष तो किसी का नहीं
ये तो वक़्त की माया है
कभी नाँव पानी में
कभी नाँव में पानी समाया है ।
किसी ने पाए मोती
तो किसी को मिली रेत
गहरा ये जीवन समुन्दर
बस नसीबो का है खेल।
किसी की नैया डूबी
तो किसी की पार लग गयी
कभी खुशियां रही मुट्ठी में
तो कभी रेत सी फिसल गयी
है बस एक मिटटी की काया !
जिसपे तू इतना इतराया
और कुछ नहीं है पास तेरे ,
जो है बस ईश्वर का साया !!
झूला |
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हर दिन का खेला
बच्चो का झूला
होता जिसका इंतज़ार
एक लम्बी कतार
सुबह से दोपहर
दोपहर से शाम
बस खेलना और खेलना
न एक पल का आराम
बार बार गिरना
मिटटी का झड़ना
पूरे दिन की मस्ती
किताबों से कट्टी
याद रह जाएँगी
बचपन की यादें
वो पार्क का झूला
भागना और छुपना
माँ का बुलाना
फिर नया बहाना
घर जाके पिटना
रोना और चिल्लाना
बस अब नहीं खेलेंगे
बार बार दोहराना
सबकी माँ अच्छी है
बस आप ही ख़राब
देखो फिर भी करता हूँ
माँ , मैं आपसे प्यार !
चुप है और चंचल भी ,
लगती हंसमुख कुछ अपनी सी
एक अनकही कहानी है ,
ये लड़की जानी पहचानी है ।
है एक पहेली सी !
रहती है शरमायी सी
अपने को खुद में समेटे हुए
दिखती है हर शाम मुझे ।
एक नया रंग लिए हुए । ।
आवाज़ है सुनी हुई
एक झंकार ली हुई ,
आँखें भी है ठहरी हुई ,
कुछ मुझसे कहती हुई ।
सोचता हूँ पूछ लू !
क्यों इतनी ख़ामोशी है ,
है किसी का इंतज़ार !
या फिर यही ज़िन्दगी है ।।
krishna Bhakti |
तेरी राह पे जबसे है चल पड़े !
बस कदम मेरे तेरी और बढ़े ।
कोई पूछे अगर के जाना कहाँ ?
कह दू वृन्दावन मैं धाम तेरा ।
है कैसी कशिश तुझमे ये तो बता ?
ध्यान रहे तुझपे क्यू मेरा सदा !
देखती तुझको मैं रह जाऊ !
सौंप तुझको सब निश्चिन्त हो जाऊ ।
लीन हो जाऊ तेरी भक्ति में मैं ,
और इंद्रधनुषी रंगो में तेरे रंग जाऊ ।
मन चाहे तेरी शरण में रह जाऊ !
बनु रज तेरे चरणों की और तर जाऊ । ।
Kinare |
फासले किनारों के बस यूँ ही बढ़ गए
एक दूसरे से मिलने की चाह में
कितने आगे निकल गए ।
गहराई भी तो नापी न गयी नदी की कभी
कोशिशे की भी तो बस रेत हाथ लगी ।
एक सोच का फर्क जो बदल न सका
कमी तो पुल की थी जो कोई बन न सका ।
खाइशें किनारों की आखिर बदल गयी
किस्मत के आगे उनकी न चली ।
अबतो नदी के किनारे भी बदल गए
जो पहले किनारे रहते थे ,
वो अब किनारे कर गए । ।
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NASHA PARHEJ |
भटक गया मैं अपनी राह से
ख़ुशी और गम मे !
आ गया बातों मे दोस्तो
पिछड़ गया अपने लक्ष्य से ।
खो गया सिगग्रेट के धुएँ
और ताश के पत्तो मे !
डुबो दिया खुद को मैंने
शराब की लत मे ।
रहना था नशे से दूर
इसके ही करीब हो गया !
चौपट कर भविष्य अपना
एक नसेड़ी बन गया ।
धूम्रपान की आदत ऐसी लगी मुझे
फिर न किसी की बात सही लगी मुझे !
घर परिवार से दूर लड़खड़ाता मैं रहा
अनजान सड़कों पे न जाने कब सो गया।
कहाँ गिरा पता नहीं
जो चोट लगी उसका अंदाज़ा नहीं !
हर दिन एक नया झूठ बोल के
में अपनी नज़र से ही गिर गया ।
गलती अपनी न सुधार सकूँ
ना किसी का आदर्श बन सकूँ !
नशे से हो गया साथ मेरा !
जो उतरने से पहले ही चढ़ गया ।
घर ग्रहस्ती सब ख़तम हुई
इज़त मेरी बेइज़्ज़ज़त हुई !
पत्नी बच्चे है सब दुखी
अपनी ज़िन्दगी मैंने खुद बर्बाद की ।
हूँ आगे बहुत निकल चुका !
नशे में डूबा हुआ
सही गलत में फरक नहीं
अब रहा मैं सामाजिक नहीं ।
है सबके लिए सन्देश मेरा
जो हाल हुआ मेरा वो अपना न करना
आगे है हम सबको बढ़ना
नशे की आदत से परहेज़ करना ।
है अपने जीवन को सुखमय बनाना
शराब और सिगरेट से दूर हरहना ।
बनो एक जिम्मेदार तुम
निभाओ बेटे का फ़र्ज़ तुम ।
किस्मत से मिला है ये जन्म
बनो किसी का सहारा तुम ।
कुल का दीपक वही है जो
नाम करे अपने कुल का !
श्रवण कुमार न बन सको तो क्या
अहम् है काबिल इंसान बनना ।
हो फ़क्र बेटे पर जिस माँ को
ऐसी तुम संतान बनो ।
किसी के राहों का दीपक बन
जीवन अपना सफल करो । ।
कमज़ोर डोर |
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कहनी थी तुमसे बात जो, वो अधूरी रह गयी
खाई थी जो कसम वो कसम भी रह गयी
सवाल ऐसे थे के कुछ कह न सके हम
जो कटी रात आंखों में वो रात रह गयी
गलतफैमियूं का इलाज कर न सके हम
जो सच थी बात वो अनकही ही रह गयी
क्या खबर थी के धोखा होगा हमें
आइना भी चेहरा अलग दिखायेगा हमें
पछतावा है अपने अभिमान पे हमें
मान रहे थे जिसे अपना वही सजा देगा हमें
ऐसी भी क्या मजबूरी कभी बात न हुई
दूरी इतनी भी न थी के तय न हुई
रिश्ता तो क्या निभता यार अपना !
डोर तो पहले ही कमज़ोर थी गांठ और पड़ गयी।
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आंखों को तुझे देखने की आदत सी हो गयी !
हर दिन तेरे साथ गुज़रे ये फरियाद हो गयी ।
अब जी न सकेंगे यार तेरे बैगर
तू मेरे जीने की वजह जो हो गयी ।
ये कैसा प्यार हुआ मुझको मेरे यार ?
के खुद को भूलने की बात आम हो गयी ।
तेरी ही फ़िक्र में बीते मेरे तो दिन और रात !
ज़िक्र तेरा ही हो चाहे रहूं किसी के साथ ।
तेरे होने से जो चेहरे पे मुस्कान है मेरे !
तेरी कही हर बात मेरे लिए ख़ास हो गयी।
बिगड़ गयी आदते मेरी साथ रह के तेरे !
आदतों को मेरी तेरी आदत जो पड़ गयी । ।
हो जैसे फूलो संग खुशबू और सावन संग बरसात ,
वैसे ही मैं भी तेरे संग रह गयी । ।
Aadat - Of Love |
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एक बार फिर बता दे मुझे ,
है कितना प्यार मुझसे जता दे मुझे ।
माना के ज़रूरत नहीं दिखावे की तुझे !
फिर भी दिल बहलाने के लिए बता दे मुझे ।
जानती हूँ ! दुआओं में तेरी में ही तो हूँ !
क्यू न फिर एक बार खुदा से मांग ले मुझे ।
है तनहा तू भी इस जहान में !
आ साथ दे मेरा और अपने गम देदे मुझे ।
ये इश्क़ ही तो ज़िन्दगी है जो जी रहे है हम !
भूल जा इसमें खुद को और गले लगा ले मुझे ।।
इन दूरियूं को अपनी नज़्दीकियूं में बदल दे !
और बाकी की ज़िन्दगी आ मिल के जी ले ।।।।
Bataa De Mujhe |
Short Poetry On Past
क्या खबर थी की ऐसा वक़्त होगा
जो सोचा न कभी वो हक़ीक़त होगा ,
जो रहता था आंखों के सामने हमेशा
वो आज एक बीता हुआ कल होगा !!
कॉंच का टुकड़ा |
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ये दर्पण मुझसे अब खेलने लगा
बीते समय में मुझे ले जाने लगा
हटती नहीं है नज़र इससे अब
मुझे मेरे अतीत से मिलाने लगा ।
कभी माँ की ममता से मिला दिया
और पलकों को मेरी भिगो दिया।
कभी बचपन मुझे फिरसे दिखा दिया
जिसको भूले मुझे एक ज़माना हुआ ।
कभी पुराने दोस्तो से मिला दिया
बिंदास ज़िन्दगी को दिखा दिया।
कोई हसीं खवाब जैसे में देखने लगी
फिर न आईना से मेरी नज़रे हटी।
मुस्कुराती हुई एक छवि भी दिखी
साथ रहने के जिसके संग कस्मे हुई
कैसे बीते थे दिन कैसे बीती थी रात
दर्पण भी खुश था देख के ऐसा प्यार।
एक सजी हुई दुल्हन भी मुझको दिखी
भूल बाबुल का घर जो पी घर चली।
जो बंधी थी बस प्यार के बंधन से ही
जानती थी बस प्रेम की भाषा को ही।
थे अरमान जिसके बस मिलके चले
बीती ज़िन्दगी को भूल बस खुश रहे।
क्या पता था अंजाम क्या होगा ?
शीशा जिसके साथ खेल रहा था
वो एक कॉंच का टुकड़ा होगा।
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हर शाम साथ गुज़ारी है
ज़िन्दगी थोड़ी नहीं पूरी तूने बिगाड़ी है
और कितनी तारीफ करे दोस्त तेरी हम
एकसाथ रहने के लिए मार भी हमने खाई है
हर दिन एक नया झूठ बोला है
दोस्ती को कभी न तोला है
तेरे साथ रहने के लिए दोस्त मेरे
हॉलिडे को भी वर्किंग बोला है
इतनी शिद्दत से तो पढाई न की कभी
जितनी शिद्दत से निभी दोस्ती अपनी
माना शिकायत रही सबको हमसे बहुत
फिर भी बरक़रार रही दोस्ती अपनी
साथ रहे हम हमेशा
दुआँ है यही
बस दोस्ती को अपनी
कभी नज़र लगे नहीं ।
ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
चेहरा तेरा आंखों में बसे
ख्याल तेरा मेरे दिल में रहे।
ये कैसी मोहब्बत है तेरी ?
जितना भूलू इसे !
उतनी तेरी याद आए ।।
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...