ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
Hello Friends, you will find variety of Melodious & a Imaginative Poetries like Friendship, Love, First Meet, Memories, Desires, Happiness, and Many More On my Blog. Themisvi.com .
ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
चेहरा तेरा आंखों में बसे
ख्याल तेरा मेरे दिल में रहे।
ये कैसी मोहब्बत है तेरी ?
जितना भूलू इसे !
उतनी तेरी याद आए ।।
दुष्मन भी टेके घुटना अपना।
जिसके लाल ने - देश के लिए - दी अपनी जान है।
भारत देश करे तुझको नमन।।
बीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे पाएंगे ,
जितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे ।
चाहेंगे जो कभी भूलना तो मुमकिन ना कर पाएंगे ,
पहुंचेंगे उसी मोड़ पे जहाँ से लौट नहीं पाएंगे ।
मिलना तो एक खवाब है जो पूरा न हो सकेगा ,
वैसे ही जैसे कस्तूरी को मृग ढूंढता फिरेगा।
एक चाह रह जाएगी बस तेरे पास ,
झूठी ही सही दिला देना आस ।।
कह देना के मिलना होगा फिर एक बार ,
वैसे ही जैसे रहता है एक तारा चाँद के पास ।।।।
मेरे इश्क़ ने तुझे खुदा बना दिया !
जो कह न सके किसी से कभी ,
तुझसे कह दिया !
अब और क्या कहे हमसफ़र मेरे ,
तेरी चाह में हमने खुद को भुला दिया।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है।
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है । ।
छोटी सी ज़िन्दगी में कितना नाराज़ रहोगे ?
आ जाओ सुलह करलो हमेशा याद रहोगे।
ऐसी भी क्या बात जो इतना खफा हो !
इंतज़ार हुआ बहुत बस अब न सजा दो।।
हर शुरुवात कठिन होगी
हर रास्ते पे ठोकरे होंगी।
है इसी का नाम ज़िन्दगी !
आगे बढ़ के ही जीत हासिल होगी । ।
Kindly watch short video on Motivational Quote
क्यों इतना मजबूर है
हाथ कलम है मेरे पर शब्दों से दूर है ।
क्यों इतना मजबूर है
रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।
क्यू इतना मजबूर है
करीब है तेरे पर नज़रों से दूर है।
क्यों इतना मजबूर है
मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
मोती की तरह सीप से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है । । ।
फेयरवेल - विदाई समारोह |
सर जी , ...................
आपके साथ बीते जो दिन वो यादगार बन गए
आपका साहसी , संकल्पी और दृढ़ निश्चयी अंदाज़
आपकी पहचान बन गए
स्टाफ के साथ मिलके रहना
आशावादी होना और हमेशा खुश रहना
आप तो दूसरों के लिए मिसाल बन गए।
आँखें है नम और सबको है गम
आपका साथ हमारे लिए था एक उजली किरण
पारस हो आप , चेहरे पे एक तेज लिए हुए
कम न हो जिसका शौर्य ऐसी हस्ती लिए हुए ।
आपके साथ काम किया ये किस्मत है हमारी
फेयरवेल के दिन आपके है विनती हमारी
हो आपकी उन्नति हमेशा और मिले कामयाबी
सर , आपको सलाम है
आपके साथ काम करना हम सबके लिए अभिमान है
धन्यवाद
दुःख - दर्द |
******************************************
ये दर्द सुकून देता है
ये तकलीफ भली लगती है
इस दुःख से शिकायत कैसी ,
ये ख़ुशी जान लेती है।
ये दर्द जिया है मैंने
इसकी अब मुझको आदत है
न जाने ख़ुशी कैसी होगी ,
जो सिर्फ सुनाई देती है।
हाँ , जी है मैंने थोड़ी से
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी
फिर भी दुःख का मज़ा लिया ,
जो मुझे छोड़ कभी गया नहीं।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है |
में सुखी खुद को समझाता हूँ
जो दुःख मेरे संग रहता है
में इसको खूब समझाता हूँ ,
ये मुझको खूब समझता है ।
मैंने अब इससे दोस्ती कर ली
ये मुझको प्यारा लगता है
ये नहीं रहता जब पास मेरे ,
कुछ खाली खाली लगता है
दोस्तों सच पूछो तो
दुःख मेरा सच्चा साथी है
मेरे सारे संगी छूट गए !
बस इसकी यारी बाकी है।
ये सुख मुझे ख़ुशी क्या देगा ,
जब दुःख का पलड़ा भारी है ।।
MisVi Poetry |
अयोध्या- सियाराम कथा |
हुआ राम सीता का ऐसा मिलन !
देख कर रह गए सब उनको मगन ।
रूप का एक सागर माँ जनक नंदनीं
और कमल नयन अपने श्री राम जी । ।
हुआ ब्याह राम जी का सीता के संग
पर संजोग ऐसा , मिला चौदह साल का वन !
सिया राम संग लक्ष्मण भी वन को चले ।
छोड़ कर मोह , माया और अयोध्या को तज । ।
बचपन की राहें |
***************************************************
कोई बता दे इस दिल को कैसे अब में सँभालू
फिर कैसे इसको कैद करूं फिर कैसे इसको मना लूं
कैसे पूरी करूं यह ख्वाहिश फिर से बचपन जी पाने की
फिर से गुड्डी गुड्डू के संग रेत के महल बनाने की
फिर वापिस उन गलियों में जाके खो जाने की
और दिन भर खेल खेल के वापिस थक के सो जाने की
बचपन की राहें पीछे छूटीं सब चेहरे अब अनजाने हैं
जो जाने पहचाने लगते थे अब बस वो अफ़साने हैं
फिर भी दिल को समझाती हूँ के समय हैं पीछे छूट गया
तू आज भी छोटा बच्चा है जब तेरा बचपन बीत गया
अब भूल जा सारी यादों को जो सिर्फ तुझे याद आती है
आ जिले अब इस पल को जिसमें जीवन बाकी है
चाहू चाँद में तुझे चुरा लू ..
दुनिया की नज़रों से तुझको छुपा लू !
देदू इतना प्यार तुझे मैं
धरती और अम्बर की दूरी मिटा दू !
इतनी बातें तुझसे करलू !
रात का तुझको साथी चुन लू !
साथ में तेरे मिलके ऐ चाँद
दुनिया की मैं सैर करलू !
चाँदनी को तेरी अपना गहना बना लू !
शीतलता को अपने मन में बसा लू !
मान लू अपना चाँद 🌛 तुझे मैं
और तुझको अपने माथे 🌙 पे सजा लू !!
फिर कह दो |
एकबार फिर कह दो ...
जो झूठ है , वही कह दो ...
साथ छोड़ा है तुमने ही !
पर दोष हमें दे दो !!
एकबार फिर कह दो ...
रिश्ता क्या है ? कह दो ...
तुमसे निभाया न गया !
साथ हमने छोड़ा .. कह दो !!
एकबार फिर कह दो ...
हम गलत है ! कह दो ...
तुमसे जो की .. उम्मीद !
उसकी सज़ा दे दो !!
********
Kindly watch Short video On FIR KEH DO
पतंग |
बीती है जो तेरे संग
प्रिय- Love Poetry |
क्यों न प्यार करले ऐसे मौसम में
है सबकुछ भुला दिया तेरी चाहत ने
मिले जबसे तुम कोयल कुहकने लगी
हर डाली पे कलियाँ हैं खिलने लगी।
उम्मीद की किरण फिर जगने लगी
तेरी संगत से दुनिया बदलने लगी
ये चाँद और खूबसूरत लगने लगा
चांदनी भी अपनी बरसाने लगा
उल्लास ज़र्रे ज़र्रे में दिखने लगा
मन उपवन फूलों सा महकने लगा
अब तो आइना भी तेरी सूरत दिखाने लगा
और बड़ा सा दिन छोटा लगने लगा
क्यों न प्यार करले ऐसे मौसम में !
ये समां मुझे अपने प्रिय से मिलाने लगा !
जिंदगी रही सफर में
सफर ही जिंदगी रहा
कभी अकेले रहे हम
कभी साथ किसी का मिल गया ।
बीता सफर यूँ जैसा के
पलकें झुकी मेरी
आंखें खुली तो पाया
हाथों से लकीरें ही मिट गयी ।
मिले सफर में जो मेरे अपने ख़ास थे
मूँद लू आंखें तो चेहरे वही दिखे
छूट गए जो सफर में वो भी अज़ीज़ थे
हम कुछ नहीं थे उनके पर वो मेरे करीब थे !
ज़िन्दगी सफर में खुद से रूबरू कराती रही मुझे
है सफर ही ज़िन्दगी बस बताती रही मुझे
जो मिल गया मुझे वो भी मेरा नहीं
बस इसी बात का एहसास कराती रही मुझे !
चलो कुछ बात करे ,
आज एक साथ रहे ।
कुछ तुम हमसे कहो ,
हम तुमसे कहे ।
फिर छेड़े पुराने किस्से *
कोई पूरानी * तान सुने ,
चलो कुछ बात करे।
फिर तुमसे - एकबार मिले !
सूरत को तेरी निहारे ।
तेरी आँखों से दिल में उतरके !
अपना तुझको बना ले ।
फिर चुपके से * पास आके !
सारी दूरियां अपनी मिटा दे ।।
और फिर कह्दे * एकबार ,है ! तुझसे ही , मेरा संसार ।।।।
इश्क़ हम * तुझसे डरते है !
ये प्यार न हो * बस कहते है !
जीते जी * जो मार दे ... !
मोहब्बत * उसी को कहते है !!
ये शुरुवात कैसी होगी ?
तुझसे मुलाकात कैसी होगी ?
जिसे देखने की तम्मना है मुझे !
जाने वो बरसात कैसी होगी !
एक उम्मीद बंधी होगी !
कोई फ़रियाद पूरी होगी।
जिसे माँगा है दुआओं में ही ,
जाने वो मुराद कैसी होगी।।
कुछ भीगी पलकें होंगी।
थोड़ी मायूसी छायी होगी ,
जिसे देखे सुकून आएगा !
जाने वो सूरत कैसी होगी ?
जो हर वक़्त साथ रहा मेरे !
मुझको अपनी बांहो में लिए !
जब सामने आएगा वो !
जाने वो ख़ुशी कैसी होगी ?
Pls Listen RAILYATRA to experience more realistic poetry by single click on below Image .
**** रेलयात्रा *****
रेल : रेलयात्रा |
*************************************************
लहरों सी लहराती जाये
सीटी बजाती धुआं उड़ाती जाये
कोई न रोक सके रफ़्तार
लोह पथ गामिनी ये कहलाये
दुनिया भर का बोझ उठाये
रात और दिन का सफर कराये
सबसे उत्तम इसकी सवारी
सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी
भ्रमण रेल का मन भरमाये
कुल्हड़ की चाय जी ललचाये
चाट पकोड़ी चटनी कचौड़ी
सब्ज़ी - पूरी भूख बढ़ाये ।
रेल की दोस्ती याद रह जाये
छोटी मुलाकातें बड़ी बातें कराये
मिलजुल के हमें रहना सिखाये
भेदभाव की भावना मिटाये
नगरी नगरी सबको पहुचाये
दोस्तो, रिश्तेदारों से हमें मिलाये
कश्मीर से कन्याकुमारी की
यात्रा ये आसान बनाये
मंज़िल से ज़ादा सफर का मज़ा है
होता सबको उल्लास बड़ा है
रेल से सीखा हमने यारो
मिलो की दूरी तत्काल में हो जाये
रिश्ते हो करीब तो दूरी घट जाये।
सोचते है पर ध्यान कहाँ है
कोई बता दे हुआ क्या है
हम है यहाँ पर दिल कहाँ है ?
है एक सन्नाटा पसरा हुआ
हर कोना अकेले में बसा हुआ
कोई बता दे ये आलम क्या है
हम है मौन बाकियुओं को हुआ क्या है ?
सब रास्ते है रुके हुए
पर भीड़ में सब चल रहे
कोई बता दे जाना कहाँ है
हम है तैयार अब जीना कहाँ है ?
है एक धुंध छायी हुई !
हर शख्स को भरमाई हुई
कोई बता दे ये नियति क्या है
जिंदगी तो ठीक है
कल का भरोसा क्या है !
तारो की छाओं में
ले हाथों को हाथ में
चांदनी रात मेंके अब चकोर चाँद संग रहे !!
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...