हमसफ़र |
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ओस की बूंदों जैसे
पहले प्यार की खुशबू जैसे
इंद्रधनुष के रंगों जैसे
कोई दुआं क़ुबूल हो जैसे
ऐसी है तेरी मुस्कान
हमसफ़र मेरे ,
तू मेरा है अभिमान।।
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बचपन की राहें |
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कोई बता दे इस दिल को कैसे अब में सँभालू
फिर कैसे इसको कैद करूं फिर कैसे इसको मना लूं
कैसे पूरी करूं यह ख्वाहिश फिर से बचपन जी पाने की
फिर से गुड्डी गुड्डू के संग रेत के महल बनाने की
फिर वापिस उन गलियों में जाके खो जाने की
और दिन भर खेल खेल के वापिस थक के सो जाने की
बचपन की राहें पीछे छूटीं सब चेहरे अब अनजाने हैं
जो जाने पहचाने लगते थे अब बस वो अफ़साने हैं
फिर भी दिल को समझाती हूँ के समय हैं पीछे छूट गया
तू आज भी छोटा बच्चा है जब तेरा बचपन बीत गया
अब भूल जा सारी यादों को जो सिर्फ तुझे याद आती है
आ जिले अब इस पल को जिसमें जीवन बाकी है
चाहू चाँद में तुझे चुरा लू ..
दुनिया की नज़रों से तुझको छुपा लू !
देदू इतना प्यार तुझे मैं
धरती और अम्बर की दूरी मिटा दू !
इतनी बातें तुझसे करलू !
रात का तुझको साथी चुन लू !
साथ में तेरे मिलके ऐ चाँद
दुनिया की मैं सैर करलू !
चाँदनी को तेरी अपना गहना बना लू !
शीतलता को अपने मन में बसा लू !
मान लू अपना चाँद 🌛 तुझे मैं
और तुझको अपने माथे 🌙 पे सजा लू !!
फिर कह दो |
एकबार फिर कह दो ...
जो झूठ है , वही कह दो ...
साथ छोड़ा है तुमने ही !
पर दोष हमें दे दो !!
एकबार फिर कह दो ...
रिश्ता क्या है ? कह दो ...
तुमसे निभाया न गया !
साथ हमने छोड़ा .. कह दो !!
एकबार फिर कह दो ...
हम गलत है ! कह दो ...
तुमसे जो की .. उम्मीद !
उसकी सज़ा दे दो !!
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पतंग |
बीती है जो तेरे संग
प्रिय- Love Poetry |
क्यों न प्यार करले ऐसे मौसम में
है सबकुछ भुला दिया तेरी चाहत ने
मिले जबसे तुम कोयल कुहकने लगी
हर डाली पे कलियाँ हैं खिलने लगी।
उम्मीद की किरण फिर जगने लगी
तेरी संगत से दुनिया बदलने लगी
ये चाँद और खूबसूरत लगने लगा
चांदनी भी अपनी बरसाने लगा
उल्लास ज़र्रे ज़र्रे में दिखने लगा
मन उपवन फूलों सा महकने लगा
अब तो आइना भी तेरी सूरत दिखाने लगा
और बड़ा सा दिन छोटा लगने लगा
क्यों न प्यार करले ऐसे मौसम में !
ये समां मुझे अपने प्रिय से मिलाने लगा !
जिंदगी रही सफर में
सफर ही जिंदगी रहा
कभी अकेले रहे हम
कभी साथ किसी का मिल गया ।
बीता सफर यूँ जैसा के
पलकें झुकी मेरी
आंखें खुली तो पाया
हाथों से लकीरें ही मिट गयी ।
मिले सफर में जो मेरे अपने ख़ास थे
मूँद लू आंखें तो चेहरे वही दिखे
छूट गए जो सफर में वो भी अज़ीज़ थे
हम कुछ नहीं थे उनके पर वो मेरे करीब थे !
ज़िन्दगी सफर में खुद से रूबरू कराती रही मुझे
है सफर ही ज़िन्दगी बस बताती रही मुझे
जो मिल गया मुझे वो भी मेरा नहीं
बस इसी बात का एहसास कराती रही मुझे !
चलो कुछ बात करे ,
आज एक साथ रहे ।
कुछ तुम हमसे कहो ,
हम तुमसे कहे ।
फिर छेड़े पुराने किस्से *
कोई पूरानी * तान सुने ,
चलो कुछ बात करे।
फिर तुमसे - एकबार मिले !
सूरत को तेरी निहारे ।
तेरी आँखों से दिल में उतरके !
अपना तुझको बना ले ।
फिर चुपके से * पास आके !
सारी दूरियां अपनी मिटा दे ।।
और फिर कह्दे * एकबार ,है ! तुझसे ही , मेरा संसार ।।।।
इश्क़ हम * तुझसे डरते है !
ये प्यार न हो * बस कहते है !
जीते जी * जो मार दे ... !
मोहब्बत * उसी को कहते है !!
ये शुरुवात कैसी होगी ?
तुझसे मुलाकात कैसी होगी ?
जिसे देखने की तम्मना है मुझे !
जाने वो बरसात कैसी होगी !
एक उम्मीद बंधी होगी !
कोई फ़रियाद पूरी होगी।
जिसे माँगा है दुआओं में ही ,
जाने वो मुराद कैसी होगी।।
कुछ भीगी पलकें होंगी।
थोड़ी मायूसी छायी होगी ,
जिसे देखे सुकून आएगा !
जाने वो सूरत कैसी होगी ?
जो हर वक़्त साथ रहा मेरे !
मुझको अपनी बांहो में लिए !
जब सामने आएगा वो !
जाने वो ख़ुशी कैसी होगी ?
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**** रेलयात्रा *****
रेल : रेलयात्रा |
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लहरों सी लहराती जाये
सीटी बजाती धुआं उड़ाती जाये
कोई न रोक सके रफ़्तार
लोह पथ गामिनी ये कहलाये
दुनिया भर का बोझ उठाये
रात और दिन का सफर कराये
सबसे उत्तम इसकी सवारी
सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी
भ्रमण रेल का मन भरमाये
कुल्हड़ की चाय जी ललचाये
चाट पकोड़ी चटनी कचौड़ी
सब्ज़ी - पूरी भूख बढ़ाये ।
रेल की दोस्ती याद रह जाये
छोटी मुलाकातें बड़ी बातें कराये
मिलजुल के हमें रहना सिखाये
भेदभाव की भावना मिटाये
नगरी नगरी सबको पहुचाये
दोस्तो, रिश्तेदारों से हमें मिलाये
कश्मीर से कन्याकुमारी की
यात्रा ये आसान बनाये
मंज़िल से ज़ादा सफर का मज़ा है
होता सबको उल्लास बड़ा है
रेल से सीखा हमने यारो
मिलो की दूरी तत्काल में हो जाये
रिश्ते हो करीब तो दूरी घट जाये।
सोचते है पर ध्यान कहाँ है
कोई बता दे हुआ क्या है
हम है यहाँ पर दिल कहाँ है ?
है एक सन्नाटा पसरा हुआ
हर कोना अकेले में बसा हुआ
कोई बता दे ये आलम क्या है
हम है मौन बाकियुओं को हुआ क्या है ?
सब रास्ते है रुके हुए
पर भीड़ में सब चल रहे
कोई बता दे जाना कहाँ है
हम है तैयार अब जीना कहाँ है ?
है एक धुंध छायी हुई !
हर शख्स को भरमाई हुई
कोई बता दे ये नियति क्या है
जिंदगी तो ठीक है
कल का भरोसा क्या है !
तारो की छाओं में
ले हाथों को हाथ में
चांदनी रात मेंके अब चकोर चाँद संग रहे !!
Birth - God's Grace |
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ये सफर खूबसूरत लगता है।
शाख से कोई फूल गिरा लगता है ,
आती है जिसकी खुशबू मुझे
वो मुझे अपना ही अंश लगता है
सौम्य , मासूम , नटखट और खूबसूरत
जो मुझे माँ कहके बुलाता है
एक ही विधाता की संतान है हम
वो मुझे उनका ही स्वरुप लगता है
चाहू उसे हरदम खिलता हुआ देखू
वो मुझे अपने आप में एक चमन लगता है ।
क्या किस्मत होगी उस माली की
जिसकी बगिया में
उस जैसा कुसुम खिलता है !
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एक अरसा हुआ मिले
तेरी मेरी बात हुए
और कितना इंतज़ार करेहम भी तुझे नज़रअंदाज़ करे !
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ये फ़ासला कम न हुआ
By Vinita
रेशम की डोर |
है मुश्किल तेरा मेरे साथ होना
जैसे हो धूप में बारिश का होना
लगता कठिन तेरे पथ पे चलना
जैसे पथरीले रास्ते पे नंगे पाओं चलना
फिर भी खिंचता है दिल तेरी ओर
नहीं टूटती मुझसे रेशम की डोर
चाहती हूँ तुझसे लगा लू दिल
भूल के सब अपनी मुश्किल
है उमीदे तुझसे बड़ी
क्या मैं तुझपे करलू यक़ीन ?
मान लू तुझे अपना हो जाऊ तेरी
और तोड़ दू सारे बंधन मैं अपने सभी !
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ऐसे ही बस कुछ नहीं
क्या है कोई बात नहींजिसे चाहा उसी ने दग़ा दिया
थे जिनकी यादो के सहारे ज़िंदा
उन्ही यादो ने हमें मार दिया !
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तेरे संग |
** तेरे संग **
विश्वास नहीं दिला सकते
जो सच है उसे झुठला नहीं सकते
निकाल कर देदे अगर जान अपनी
तो भी तेरे प्यार की कीमत चुका नहीं सकते
अपनी दूरियों का हिसाब लगा नहीं सकते
क्या - क्या नाम मिले तेरा होके बता नहीं सकते
तुमसे ही तुम्हारे जाने की शिकायत करनी है
पर तुमको अब वापिस बुला नहीं सकते
कह सकते तो बस इतना कहते
इन फ़ासलो को कम करते
तुम साथ देते अगर
तो आज हम संग होते है
रास्ते का पत्थर |
** रास्ते का पत्थर **
है पसंद तेरे रास्ते का पत्थर
जो दिखता है मुझे तेरे घर की सड़क पर
हटाता हूँ रोज़ सुबह उसको जाकर
पर पुनः पाता हूँ उसको उसी जगह पर
जानता हूँ पत्थर के पैर नहीं होते
जाने कैसे वो दूरी तय करते
है उसको भी तेरी आदत पड़ी
रहना है उसे तेरी ही गली
है अचरज मुझे ये जान के बड़ा
के पत्थर ने भी क्या प्यार कर लिया
अब ना देखा जा रहा के ठोकरें उसको लगे
अपना लो उसे जो राह में तेरी खड़े
है शिकायत मुझे तुमसे बहुत
के चाहने वाले दुनिया में कम बहुत
है बड़ी किस्मत जो कोई तुझसे प्रेम करे
यूँ ही नहीं श्री कृष्ण सुदामा से जा मिले
चाहता हूँ उठा लो तुम रास्ते का पत्थर
मान लो उसे अपना रखदो आँगन में जाकर
क्या ज़रूरी है इन्सान से ही प्रेम करना
प्रेम तो है पत्थर में भी भगवान देखना।
पतझड़ |
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सुना है तुम्हे कहते हुए ..
गम में आंहे भरते हुए
के, अकेले हम ही नहीं तन्हा !
और भी है..
जीवन के मेले में बिछड़े हुए
सुना है तुम्हे कहते हुए ..
हर मौसम में ढाढंस बढ़ाते हुए
के सीखो इन पत्तो से टिकना
जो पतझड़ में भी
है खुद से उमीदे लगाए हुए
सुना है तुम्हे कहते हुए ..
हर दिन को नया दिन बताते हुए
के जीना है हरपल को ..
खुशियूँ को दिल से लगाए हुए।
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** प्रेम **
कभी बात हो तो क्या बात हो !
मुलाकात हो तो क्या हाल हो !
जिसके नाम से आती है चेहरे पे मुस्कान !
वो सामने हो तो क्या बात हो !
कभी साथ हो तो क्या साथ हो !
सारी हसरते पूरी एक साथ हो !
जिसको सोचा हो ख्यालो में ही !
वो सामने हो तो क्या बात हो !
कभी मिलना हो तो कैसा हो !
मीरा का कृष्ण से मिलने जैसा हो !
तू मिले मुझे भगवन तो क्या बात हो !
मैं समझूंगी मेरा जीवन सफल हो !!
Prem |
इबादत |
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हर दिल की ये चाहत हो
किसी से इश्क़ हो
और पूरी उसकी इबादत हो
होगा यकीन !
जब एक फूल और दूसरा सुगंध हो ।।
हो प्यार में सब जायज़
और दिल से दिल की राह हो
होगा विश्वास !
जब प्यार की हार में ही जीत हो।।
दिया और बाती जैसा साथ हो
एक चाँद और दूसरा आसमान हो
होगा प्रेम पूर्ण !
जब एक दिल
और दूजा उसकी धड़कन हो ।।
By Vinita
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...