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ऐतबार मुझे हो रहा
एक अजीब सी बात है के चाँद भी तेरे साथ है है तारे भी कुछ कह रहे और मेरा मन भटका रहे है प्यार मुझको हो रहा दिल बार बार कह रहा अब न गिला कोई रहा है ऐतबार मुझको हो रहा न झूठ है कहना मेरा
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*** मगन धुन ***
चल तेरे साथ चलें। थोड़ा करके श्रृंगार चले , फिर अपना आँचल लहरा के चले। माथे पे बिंदिया सजाके चले , चल तेरे साथ चले।।
फिर सबकुछ हम भूला के चले , सारे ज़ख्मो को अपने छुपा के चले। मुँह में पान दबा के चले , फिर तुझको थोड़ा रिझा के चले। चल तेरे साथ चले।।
अपनी पूरी मस्ती में चले , आंखों में तुझको छुपा के चले। फिर दिल अपना हम लुटा के चले , तुझ को तुझसे ही चुरा के चले। चल तेरे साथ चले।। तोड़ते सारे दायरों को चले , अपना हम तुझको बना के चले । आसमा को कदमो में लाके चले , चल तेरे साथ चले ।।
करलू पूरी अपनी मनमानी , छोड़ू पीछे दुनियादारी । फिर अपनी मगन धुन में चले ,
खुद से मिले बहुत दिन हुए है हाल क्या ना याद है सूरत भी नहीं देखी अपनी अब तो आइना भी नाराज़ है तुझसे ही फुर्सत नहीं तेरी कमी भी कुछ कम नहीं हरपल है तुझको ढूंढ़ती ये आँखें मेरी थक गयी कैसे बीते दिन रात है कुछ ना मुझको याद है बिन तेरे मेरा होना लगता एक अधूरी बात है तेरी कमी का एहसास है ये दिल आज भी उदास है तू चैन मेरा ले गया
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नमस्कार दोस्तो, प्रस्तुत है आज की कविता * कारवां लेके हम चले * इस कविता में मैंने समाज में रह रहे इंसान की सोच को, उसके अहंकार को और उसके अन्य पहलु को बताया है, लेकिन इस कविता का मूल आधार है, "स्वय में बदलाव करना" और इस बदलाव की शुरुवात हमें किसी से उम्मीद करके नहीं बल्कि खुद से शुरू करनी होगी। *कविता पढ़िए और अच्छी लगे तो अपने दोस्तो और रिश्तेदारो के साथ साझा कीजिये।
कारवां लेके हम चले
चले सबसे आगे हम चले ,
लेकिन अकेले नहीं सबको लेके हम चले।
क्यों इंतज़ार करे किसी के सर झुकाने का हम,
शान तो तब है, जब सजदे में सर को झुका के हम चले।
हैरत है कोई पूछता नहीं हाल भी कभी,
क्या गलत है ! अगर सबको गले लगाके हम चले।
ना आएगा मदद करने कोई भी इधर !
क्यों न हम ही, सबके ज़ख्मो पे मरहम लगाते हुए चले।
है अकेला हर कोई दुनिया की भीड़ में ,
एकता तो तब है , जब धागे में मोतियों को पिरोते हुए चले।
तेरे संग इस सावन में आ , भीगे जमके बारिश में भूलके सारी.. दुनियादारी आ जी ले इस मौसम में। मयूर हुआ ये मन मेरा रूप और ये निखर गया रिम झिम फुआरों में प्रीतम दिल अपना ये तुमको दिया ।
मेघ भी देखो.. बरस रहे चेहरों पे छिटकी मुस्कान हो गया सब जल मगन
है यकीं तुझपे बहुत * तू मेरा विश्वास है ! तेरे सजदे में सर झुकता , तू मेरा अभिमान है ! क्या होगा आगे, सब तुझको पता ! मेरा तो बस किरदार है ! तेरी शरण में आके भगवन *
अब जीना आसान है ||
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