अशआर
उन आँसुओं का क्या जिन्हे तुम रोक न सको
और वो परवाह है कैसी जिसे तुम जता न सको
बेइंतिहा गिले शिकवे और बदनामी लिए हुए
देखु कैसे ये आईना अपनों कि तोहमत लिए हुए
कसूर है किसका सजा किसको मिली है
टूटा है ये दिल इतना के आवाज़ न हुई है
हार गए है किस्मत से लकीरो में तेरा नाम नहीं
बदनामी के सिवा इस रिश्ते का और कोई अंजाम नहीं
ख़ामोशी है दरमियाँ के कोई उम्मीद नहीं है
भूलू कैसे तुम्हे के तेरे सिवा कुछ याद नहीं है