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सच है !
वो खूबसूरत है उसपे ऐतबार कैसे होगा
इतनी सफाई से बोलेगा झूठ
के खुद को भी ऐतराज़ न होगा।
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सोचा है मैं तुझसे कहुँ |
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सोचा है मैं तुझसे कहुँ
आ के तेरे साये में रहु
आइना देखने की चाह न हो
खुद को तेरी आंखों में दिखू
सोचा है मैं तुझसे कहुँ
पूरे सोलह सिंगार करू
तेरे माथे से लेके तिलक
पिया में अपनी मांग भरु
सोचा है में तुझसे कहुँ
थोड़ी ज़िद थोड़ी नाराज़ रहु
और मनाने पे तेरे सजन
जारी अपनी खाइशें करू
सोचा है मैं तुझसे कहुँ
बिन तेरे मैं कैसे रहु
बुला लो चाहे पास मुझे
या पास मेरे आ जाओ तुम
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तेरे प्यार को धोखे का नाम दे दिया |
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तेरे प्यार को धोखे का नाम दे दिया
जब कुछ न कर सके तुझे इलज़ाम दे दिया
वक़्त की साजिशों पे ज़ोर नहीं अपना
ज़िन्दगी को इसलिए एक चाल कह दिया
बिताया समय मैंने जो साये में तेरे
उस वक़्त को घनी धूप की छाँव कह दिया
क्या सज़ा देते अपनी किस्मत को हम
फैसलों को इसलिए मंज़ूर कर लिया
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मेरा दिल मेरी जान ! |
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मेरा दिल और मेरी जान
लौटा दो मुझे
मेरे अरमान
वो झूठा सा गुस्सा
और सच्चा वाला प्यार
खट्टी मिट्ठी सी बातें
साथ में नखरे हज़ार
कुछ तेरे मेरे सपने
दिनभर लड़ते झगड़ते
न ख़तम होने वाली बातें
और अपनी मर्ज़ी की शर्ते
चाय - भुजिआ का साथ
उसपे चर्चे हज़ार
वो महकता लाल दुपट्टा
जिसमे सितारे हज़ार
मोटरसाइकिल पे मस्ती
और शीशे पे लगी बिंदी
पलंग का सिरहाना
खिलौनों का सजाना
पास में रखी तस्वीर
है दिल के बेहद करीब
है बस यही यार
उम्मीद करू इस बार
लेके आ जाओ इन सबको
फिर एकबार
इनकी भी कमी खली
तुम्हारे साथ साथ !!
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तेरे होके भी तेरे न हुए |
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इतने कभी मजबूर न हुए
तेरे होके भी तेरे न हुए
क्या शिकायत करते गैरो से
अपनों से भी वाक़िफ़ न हुए
आइना फिर न देखा कभी
जबसे साथ छूटा अपना
क्या करते श्रृंगार सजन
जब बहने लगा नैनो से कजरा
बिन तेरे सावन भी पतझड़ लगे
कोयल की कूक कानो को चुभे
दिन बीते मानो बरस समान
रातें जैसे सदियाँ लगे
खबर अब सबको होने लगी
इच्छाएं पिंजरे में कैद होने लगी
था बसेरा जिन दरख्तों पे अपना
किस्मत उन्हें अब उजाड़ने लगी।
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रेत का किनारा |
ये किस्मत है जो खेल खेलती है
रेगिस्तान में भी पानी देखती है
जो मिल नहीं सकता मिलाती है उससे
बंजर भूमि में भी हरयाली देखती है।
हम तो कठपुतली है हाथों के इसकी
मन चाहा हमसे ये खेल खेलती है
जिन राहो को पीछे छोड़ आये है
वही से गुजरने को फिर कहती है ।
जो बने थे वजह हसने की कभी
दर्द का अब वो कारण बने है
छल से छाला है किस्मत ने जिन्हे
क्या अरमां कभी उनके पूरे हुए है ।
क्या कहे इन लकीरो में क्या लिखा है
जो साथ है अपना बाकि धोखा जिया है
बस है किस्मत का ये खेल सारा
कभी मिले मोती कभी रेत का किनारा ।
HINDI POETRY ON LOVE, EQUALITY, UNITY & FREEDOM
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इस धरा से दूर गगन से दूर चले
गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले
खाइशो से परे उमीदों से बेखबर
हो सुकून जहाँ ऐसी डगर पे चले
कोई शिकवा गिला किसी को न रहे
जहाँ सब हो एक समान ऐसे गुलिस्तां में चले
जहाँ दुख दर्द किसी को छू न सके
चल ऐसी कोई दुनिया बसाने चले
सब धर्मो पे विश्वास और एकता रहे
एक मत हो सबका कोई न बंधन रहे
एक ही मंज़िल एक रास्ता रहे
जहाँ प्रेम ही हो भाषा ऐसी आस्था रहे
इस धरा से दूर गगन से दूर चले
गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले।
Pls enjoy the short video on abv poetry
क्यों हमारी इतनी बातें हुई
तकलीफें ज़िन्दगी में कम न थी
जो तेरी यादें भी उनमे शामिल हुई !
हर मुसीबतो से लड़ता रहा हूँ
देर से ही सही पर जीतता रहा हूँ
क्या पता था शिकस्त प्रेम में होगी
जीत के भी हार जाऊ ऐसी किस्मत होगी !
उम्र भर तेरा दुःख मुझको को खलेगा
हर कदम पे तेरा साया दिखेगा
एक सवाल दिल हमेशा करेगा
क्यों मिले थे हम जब बिछड़ना हमें था !
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बदलते रिश्ते |
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चाहते थे तेरे रंग में रंगे
अफ़सोस तेरे रंग फरेबी लगे
झूठी दुनिया के खाव्ब मुझे
असल जिंदगी के धोखे लगे
बातें है मोह्हबत की
पर लब पे तो शिकवे दिखे
साथ रहना है जिनके मुझे
रिश्ता क्या है कहते दिखे
गैरो की तो बात अलग है
रूप अपनों के बदलते दिखे
है वक़्त सही तो सब सही
औकात देख फैसले बदलते दिखे।
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मुक्कमल इश्क़ |
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और क्या क्या करवाएगा
इश्क़ ये तेरा
बेज़्ज़ती, बदनामी और दिल तोडना मेरा
और कितना इंतज़ार करे
यार तेरा
साल , २ साल या उम्र भर तेरा।
किस किस से छुपेगा
हाले दिल अपना
जिक्र होगा जब सरेआम अपना
किस किस से कहोगे
इश्क़ सच्चा था अपना
आएगा सबके सामने जब मसला अपना।
बदनामी के सिवा और कुछ ना मिलेगा
ये इश्क़ है ...
जो अधूरा रह के भी मुक्कमल रहेगा।
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अरमानो की डोर |
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फिर देखा एक सपना है
शायद कोई अपना है
बुला रहा है पास मुझे
एक नयी शुरुवात की आस लिए
आँखों में उमंगें जिसकी है
देख के मुझको पूरी होती है
है जिसके दिल में प्यार बहुतऐसी सूरत उसकी लगती है
कौन है जो चाह रहा
फिर मन उपवन खिला रहा
बेरंग फूलो में डाल के रंग
मेरी जीवन बगिया महका रहा।
मैं भी चलदी हूँ उसकी ओर
ले के अरमानो की डोर
कदम से कदम है मिला लिए
और फासले कम हो गए ।
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आज़ादी |
सभी बंधनों से अलग
एक खास बंधन में बंधी हूँ
आज़ादी हूँ मैं
सिर्फ अपने विचारों से जुडी हूँ।
जात पात का भेद नहीं है
मेरा किसी से बैर नहीं है
है सभी रंगो पे अभिमान
हर मज़हब में आस्था रही है।
मान सम्मान अधिकार सभी के
मुझको तो बस खुद पे यकीं है
रोक टोक से दूर बहुत मैं
जो हो सबके हित में वही , सही है।
परखू मैं इस दुनिया को
अपने ख्याल और अनुभव लिए
हूँ अपने आप में मुकम्मल
अपनी एक पहचान लिए।
सीमाएं मेरी कोई नहीं
फैली हूँ खुशबू की तरह
पाने चाहे हर कोई मुझे
हाँ, आज़ादी है नाम मेरा।
परवाह |
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एक एहसान हुआ तेरा
ये दिल गुलाम हुआ तेरा
मैंने तो कुछ न कहा
फिर भी हाले दिल
जान लिया मेरा
दुश्मनो की भीड़ में
एक पहचान जो तुमसे हुई
जहाँ अपने भी साथ छोड़ गए
वह साथ दे दिया मेरा
न था यकीं खुद पे भी
परछाइयों से भी डर लगता था
ऐसे में एक उम्मीद जगा
नया रास्ता दिखा गया कोई
इतना ही साथ काफी है
उमीदे मेरी ज़ादा नहीं
इस जिंदगी को दोस्त मेरे
ज़ादा परवाह की आदत नहीं ।
खोखले रिश्ते |
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तेरा अधिकार ही बहुत था
मुझको रोकने के लिए
अफ़सोस तो है के ,
तुमने कभी आवाज़ न दी ।
दो प्यार के बोल ही काफी थे
टूटे रिश्तों को जोड़ने के लिए
तकलीफ तो ये है के ,
तुमने कभी कोशिश न की।
दूर इतना भी नहीं थे
के पुकारा न गया !
फासले तो चंद कदमो के थे ,
पर तुमने कभी हिम्मत न की।
खुद से ज़ादा विश्वास
था जिनपे हमें !
ताजुब है समय ने
धारणा बदल दी।
मंजूर तो न था हमें
किस्मत का फैसला
दुःख तो ये है
अपनों ने नज़रे ही फेर ली।
हाँ !
एक शिकायत रही हमें खुद से
खोखले रिश्तों की भी यादें
हमसे भुलाई नहीं गयी।
दरमियाँ -Between Eyes |
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है कौन एक तेरा सिवा
उसपे भी तू दूर है !
क्या कह के दिल को समझाए
जो तुझसे मिलने को मजबूर है !
रोज़ दिलासा देते है
मिलना होगा ज़रूर कहते है
पर सच तो दिल भी जानता है
मेरे झूठ को भी पहचानता है !
बस एक गुज़ारिश तुझसे है
मेरे भ्रम को भरम ही रहने दे
जो दूरी तेरे मेरे दरमियाँ है बनी
उन्हें आँखों के बीच ही रहने दे ।
दीदार |
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कभी तेरी गली से गुज़र गए
दीदार हुआ कभी तेरा
कभी तेरी आरज़ू में रह गए ।
ख्याल तेरा दिल में लिए
न जाने कितनी दूर निकल गए
पीछे मुड़ के देखा तो
कई अरसे गुज़र गए।
देर रात तलक तेरे बारे में सोचना
सुबह उठकर फिर तेरी राह देखना
भूले नहीं भोलेगा मुझे
दिन में भी तेरे सपने देखना।
आज भी है याद मुझे
वो तेरा मुझको देखना
दीदार होते ही मेरा
अपने बालों में हाथ फेरना
क्या जूनून क्या आशिक़ी थी
हमने भी कभी मोहब्बत की थी ।
रहते थे जिसके खयालो में गुम
वही तो असली ज़िन्दगी थी।।
हर बात तेरी
तेरे और करीब ले आती है
जितना भूलना चाहूँ तुझे
तेरी उतनी याद आती है।
जानता हूँ मुमकिन नहीं
तेरा मेरे साथ रहना
फिर भी न जाने क्यू मुझे !
किस्मत तुझसे मिलाती है।
दिल में एक विश्वास है
रिश्ता अपना ख़ास है।
यूँ नहीं मेरी धड़कने
तेरा नाम सुन बढ़ जाती है।
हो कहीं भी दिल मेरा
ख्याल तेरा ही रहे
हाँ , ये बात मैंने मान ली
तेरे जैसा मिलना मुश्किल है ।
प्यार है तुझसे ही करना
लड़ना भी तेरे साथ है
अब चाहे सफर कैसा भी हो
मुझे चलना तेरे साथ है।।
कसम है मेरी |
तेरी नज़र ऐसा असर कर गयी
देखते ही दिल में घर कर गयी
सुध अपनी मुझे अब कुछ न रही
जबसे ख्यालो में मेरे तू बस गयी ।
उमीदे तुझसे अब जुड़ने लगी
फिर से जीने की मन में उमंगें बढ़ी
जो कही न किसी से वो बातें कहीं
जबसे जीने की तेरे संग कस्मे हुई।
अब तो दिन में सपने सजोने लगे
जबसे नाम तेरा हम जपने लगे
क्यू न कोई मुझे अब तुझसा लगे
तेरा चेहरा न जाने क्या जादू करे।
रात और दिन आंखों में कटने लगे
क्यू तुझसे मिलने की बेचैनी रहे
यार ! अब और दूरी न सही जा रही
पास आजा के तुझको कसम है मेरी !!
निशब्द प्रेम |
बहुत दिनों से पूछा नहीं हाल
क्या तू भी बेपरवाह हो गया
प्यार की राह दिखा के मुझे
खुद अपने पथ से गुमराह हो गया ।
सिखाया तो तुमने ही है
दुनिया में बस प्यार ही है
बांधे जो दिल से दिल को
ऐसी कोई डोर भी है ।
है राह दिखाना आसान बहुत
पर उसपे चलना मुश्किल है
खोखले समाज की
सोच बदलना न मुमकिन है
फासले ही अच्छे है
जो होके दूर भी पास है
जो हो नहीं सकता यार मेरे
क्यू उसपे तुझे विश्वास है ।
सच तो आखिर सच ही है
हर राह की न मंज़िल है
इस रंग बदलती दुनिया में
निशब्द होना ही वाजिब है ।
समय - पीछे मुड़ के देख |
पीछे मुड़के देखू तो याद आए
कैसे बितायी ज़िन्दगी जो जी आए
सोचु तो हर दिन का हिसाब है
याद करू तो लगे कल की बात है ।
क्या कभी तुमने महसूस किया ?
संघर्ष में हर दिन बीत गया
कुछ संघी साथी छूट गए
कुछ अपने हमसे रूठ गए ।
कोई आके दिल में बस गया
तो कोई दूर हमसे चला गया
कहना , सुनना और कितनी बातें
कैसे काटे दिन और काटी रातें ।
क्या था बचपन ! क्या रही जवानी !
खिलोने , किताबें और प्रेम कहानी
आस पड़ोस और रिश्तेदार
शादी जन्मदिन और तीज त्यौहार
माँ बाप का घर वो अपनापन
निश्चिन्त स्वाभाव और बड़बोलापन ।
हुई शादी चल दिए घर नए
मिला नया परिवार ससुराल में
समझते जिन्हे कई साल लगे
देवर, जेठ और सास ससुर हमारे
सलोना सा पति जो नखरे उठाये
हर बात पे अपनी सहमति जताये ।
बाल बच्चे और घर ग्रहस्ती
रिक्शा, मेट्रो और ऑफिस की जल्दी
वाह री लाइफ तू कैसे गुज़री
हर उम्र मेरी तुझे छू के निकली।
चाहू बैठना तेरे साथ एक दिन
पूछू तुझसे क्या है जल्दी ?
क्यू इतनी जल्दी है बीत रही !
ठहर जाना कुछ पल को ।
जी लेने दे मुझे इसे
वरना छुट्टी लेनी पड़ेगी
पीछे मुड़ के देखने के लिए ।
प्रेरणादायक कविता -न ठहर बस बढ़ता चल !! |
हार के पीछे जीत छुपी है
तेरे कर्मो पे तेरी तकदीर टिकी है ।
हिम्मत न हार बस आगे बढ़
हर रात के पीछे सुबह खडी है ।
रख हौसलों में इतना दम
के दुखों की कमर तोड़ दे ।
जिस पथ पे कांटे हो बिछे
उस पथ पे कलिया बिखेर दे ।
न बाल बांका कर सके
तेरा कोई कहीं कभी ।
तू ऐसी एक चट्टान बन
जो शत्रुओं का रास्ता रोक दे ।
तू याद बस अपना लक्ष्य रख
बनके अर्जुन तरकश तैयार रख ।
ज़िन्दगी की रुकावटो को
अपने हित में लेके चल ।
न मिले जीत कोई बात नहीं
अपनी हार से सीख लेके चल ।
जीवन एक परीक्षास्थल है
यहाँ कोई उत्तीर्ण तो कोई विफल है ।
तेरी हार में भी जीत है
एक तजुर्बा, एक विश्वास है ।
तू फिर से उठ और कोशिश कर
बढ़के आगे अपनी जीत हासिल कर ।।
अनकहे प्यार के रिश्ते |
शुक्रिया उन रिश्तों का
जिन्होंने तनहा छोड़ दिया
हम बेवजह सोचते थे ,
वो दिल से जुड़े है।
वो रात - दिन की बातें ,
हसीं और ठहाके
वो कहना वो सुनना
हम ही चाहते है।
बातों में आना
खुद को समझाना
झूठ को भी सच मान जाना
इस धोखे में रहना
हम ही चाहते है।
जानते है ! तुमसे निभेगा नहीं
फिर भी रिश्ता निभाना
हम ही चाहते है।
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प्यार अपना है जो तुमसे जुड़े है
चालाकी को भी नसमझी कहे है
तुम्हे क्या पता हम क्या जानते है ?
तुमसे ज्यादा तुम्हे हम पहचानते है ।।
Kindly watch Short Video on Rishte