अफ़सोस |
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दूर इतना भी न थे
के पुकारा न गया
फासले तो चंद कदमो के थे ,
अफ़सोस तुमसे आया न गया।
Short clip of above poetry
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परवाह |
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एक एहसान हुआ तेरा
ये दिल गुलाम हुआ तेरा
मैंने तो कुछ न कहा
फिर भी हाले दिल
जान लिया मेरा
दुश्मनो की भीड़ में
एक पहचान जो तुमसे हुई
जहाँ अपने भी साथ छोड़ गए
वह साथ दे दिया मेरा
न था यकीं खुद पे भी
परछाइयों से भी डर लगता था
ऐसे में एक उम्मीद जगा
नया रास्ता दिखा गया कोई
इतना ही साथ काफी है
उमीदे मेरी ज़ादा नहीं
इस जिंदगी को दोस्त मेरे
ज़ादा परवाह की आदत नहीं ।
खोखले रिश्ते |
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तेरा अधिकार ही बहुत था
मुझको रोकने के लिए
अफ़सोस तो है के ,
तुमने कभी आवाज़ न दी ।
दो प्यार के बोल ही काफी थे
टूटे रिश्तों को जोड़ने के लिए
तकलीफ तो ये है के ,
तुमने कभी कोशिश न की।
दूर इतना भी नहीं थे
के पुकारा न गया !
फासले तो चंद कदमो के थे ,
पर तुमने कभी हिम्मत न की।
खुद से ज़ादा विश्वास
था जिनपे हमें !
ताजुब है समय ने
धारणा बदल दी।
मंजूर तो न था हमें
किस्मत का फैसला
दुःख तो ये है
अपनों ने नज़रे ही फेर ली।
हाँ !
एक शिकायत रही हमें खुद से
खोखले रिश्तों की भी यादें
हमसे भुलाई नहीं गयी।
दरमियाँ -Between Eyes |
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है कौन एक तेरा सिवा
उसपे भी तू दूर है !
क्या कह के दिल को समझाए
जो तुझसे मिलने को मजबूर है !
रोज़ दिलासा देते है
मिलना होगा ज़रूर कहते है
पर सच तो दिल भी जानता है
मेरे झूठ को भी पहचानता है !
बस एक गुज़ारिश तुझसे है
मेरे भ्रम को भरम ही रहने दे
जो दूरी तेरे मेरे दरमियाँ है बनी
उन्हें आँखों के बीच ही रहने दे ।
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कभी तेरी गली से गुज़र गए
दीदार हुआ कभी तेरा
कभी तेरी आरज़ू में रह गए ।
ख्याल तेरा दिल में लिए
न जाने कितनी दूर निकल गए
पीछे मुड़ के देखा तो
कई अरसे गुज़र गए।
देर रात तलक तेरे बारे में सोचना
सुबह उठकर फिर तेरी राह देखना
भूले नहीं भोलेगा मुझे
दिन में भी तेरे सपने देखना।
आज भी है याद मुझे
वो तेरा मुझको देखना
दीदार होते ही मेरा
अपने बालों में हाथ फेरना
क्या जूनून क्या आशिक़ी थी
हमने भी कभी मोहब्बत की थी ।
रहते थे जिसके खयालो में गुम
वही तो असली ज़िन्दगी थी।।
हर बात तेरी
तेरे और करीब ले आती है
जितना भूलना चाहूँ तुझे
तेरी उतनी याद आती है।
जानता हूँ मुमकिन नहीं
तेरा मेरे साथ रहना
फिर भी न जाने क्यू मुझे !
किस्मत तुझसे मिलाती है।
दिल में एक विश्वास है
रिश्ता अपना ख़ास है।
यूँ नहीं मेरी धड़कने
तेरा नाम सुन बढ़ जाती है।
हो कहीं भी दिल मेरा
ख्याल तेरा ही रहे
हाँ , ये बात मैंने मान ली
तेरे जैसा मिलना मुश्किल है ।
प्यार है तुझसे ही करना
लड़ना भी तेरे साथ है
अब चाहे सफर कैसा भी हो
मुझे चलना तेरे साथ है।।
कसम है मेरी |
तेरी नज़र ऐसा असर कर गयी
देखते ही दिल में घर कर गयी
सुध अपनी मुझे अब कुछ न रही
जबसे ख्यालो में मेरे तू बस गयी ।
उमीदे तुझसे अब जुड़ने लगी
फिर से जीने की मन में उमंगें बढ़ी
जो कही न किसी से वो बातें कहीं
जबसे जीने की तेरे संग कस्मे हुई।
अब तो दिन में सपने सजोने लगे
जबसे नाम तेरा हम जपने लगे
क्यू न कोई मुझे अब तुझसा लगे
तेरा चेहरा न जाने क्या जादू करे।
रात और दिन आंखों में कटने लगे
क्यू तुझसे मिलने की बेचैनी रहे
यार ! अब और दूरी न सही जा रही
पास आजा के तुझको कसम है मेरी !!
बहुत दिनों से पूछा नहीं हाल
क्या तू भी बेपरवाह हो गया
प्यार की राह दिखा के मुझे
खुद अपने पथ से गुमराह हो गया ।
सिखाया तो तुमने ही है
दुनिया में बस प्यार ही है
बांधे जो दिल से दिल को
ऐसी कोई डोर भी है ।
है राह दिखाना आसान बहुत
पर उसपे चलना मुश्किल है
खोखले समाज की
सोच बदलना न मुमकिन है
फासले ही अच्छे है
जो होके दूर भी पास है
जो हो नहीं सकता यार मेरे
क्यू उसपे तुझे विश्वास है ।
सच तो आखिर सच ही है
हर राह की न मंज़िल है
इस रंग बदलती दुनिया में
निशब्द होना ही वाजिब है ।
समय - पीछे मुड़ के देख |
पीछे मुड़के देखू तो याद आए
कैसे बितायी ज़िन्दगी जो जी आए
सोचु तो हर दिन का हिसाब है
याद करू तो लगे कल की बात है ।
क्या कभी तुमने महसूस किया ?
संघर्ष में हर दिन बीत गया
कुछ संघी साथी छूट गए
कुछ अपने हमसे रूठ गए ।
कोई आके दिल में बस गया
तो कोई दूर हमसे चला गया
कहना , सुनना और कितनी बातें
कैसे काटे दिन और काटी रातें ।
क्या था बचपन ! क्या रही जवानी !
खिलोने , किताबें और प्रेम कहानी
आस पड़ोस और रिश्तेदार
शादी जन्मदिन और तीज त्यौहार
माँ बाप का घर वो अपनापन
निश्चिन्त स्वाभाव और बड़बोलापन ।
हुई शादी चल दिए घर नए
मिला नया परिवार ससुराल में
समझते जिन्हे कई साल लगे
देवर, जेठ और सास ससुर हमारे
सलोना सा पति जो नखरे उठाये
हर बात पे अपनी सहमति जताये ।
बाल बच्चे और घर ग्रहस्ती
रिक्शा, मेट्रो और ऑफिस की जल्दी
वाह री लाइफ तू कैसे गुज़री
हर उम्र मेरी तुझे छू के निकली।
चाहू बैठना तेरे साथ एक दिन
पूछू तुझसे क्या है जल्दी ?
क्यू इतनी जल्दी है बीत रही !
ठहर जाना कुछ पल को ।
जी लेने दे मुझे इसे
वरना छुट्टी लेनी पड़ेगी
पीछे मुड़ के देखने के लिए ।
प्रेरणादायक कविता -न ठहर बस बढ़ता चल !! |
हार के पीछे जीत छुपी है
तेरे कर्मो पे तेरी तकदीर टिकी है ।
हिम्मत न हार बस आगे बढ़
हर रात के पीछे सुबह खडी है ।
रख हौसलों में इतना दम
के दुखों की कमर तोड़ दे ।
जिस पथ पे कांटे हो बिछे
उस पथ पे कलिया बिखेर दे ।
न बाल बांका कर सके
तेरा कोई कहीं कभी ।
तू ऐसी एक चट्टान बन
जो शत्रुओं का रास्ता रोक दे ।
तू याद बस अपना लक्ष्य रख
बनके अर्जुन तरकश तैयार रख ।
ज़िन्दगी की रुकावटो को
अपने हित में लेके चल ।
न मिले जीत कोई बात नहीं
अपनी हार से सीख लेके चल ।
जीवन एक परीक्षास्थल है
यहाँ कोई उत्तीर्ण तो कोई विफल है ।
तेरी हार में भी जीत है
एक तजुर्बा, एक विश्वास है ।
तू फिर से उठ और कोशिश कर
बढ़के आगे अपनी जीत हासिल कर ।।
अनकहे प्यार के रिश्ते |
शुक्रिया उन रिश्तों का
जिन्होंने तनहा छोड़ दिया
हम बेवजह सोचते थे ,
वो दिल से जुड़े है।
वो रात - दिन की बातें ,
हसीं और ठहाके
वो कहना वो सुनना
हम ही चाहते है।
बातों में आना
खुद को समझाना
झूठ को भी सच मान जाना
इस धोखे में रहना
हम ही चाहते है।
जानते है ! तुमसे निभेगा नहीं
फिर भी रिश्ता निभाना
हम ही चाहते है।
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प्यार अपना है जो तुमसे जुड़े है
चालाकी को भी नसमझी कहे है
तुम्हे क्या पता हम क्या जानते है ?
तुमसे ज्यादा तुम्हे हम पहचानते है ।।
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श्री राधे कृष्णा
तुझसे मिलने का बहाना है
श्याम दिल तेरा दीवाना है
तेरे चरणों में खज़ाना है
सब छोड़ अब शरण तेरी आना है।
झूठ और सच को पहचाना है
फरक अब मोह माया में जाना है
आंखों में अब तुझको बसाना है
जो सच है दर्शन उसका पाना है।
हरी नाम मुझको बड़ा प्यारा है
एक तेरी आस का सहारा है
हो गई है प्रीत तुझसे मोहन
अब और कुछ न मुझे पाना है।
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इज़हार |
यूँ ही राहों में मिल गया कोई
अधूरी कहानी को पूरा कर गया कोई
एहसास न था के कितने अकेले है हम
दो कदम साथ चल के ये जता गया कोई !
अपनी खूबसूरती से तो वाकिफ न थे हम
आँखों में आँखें डाल शीशा दिखा गया कोई !
अच्छा समय बिता साथ रह के जिसके
उसी वक़्त का इंतज़ार सीखा गया कोई !
प्यार होता है क्या निभाते है कैसे ?
इज़हार करके निभाना सीखा गया कोई !
Kindly watch short video on IZHAR
ऐसा एक हिन्दुस्तान बने
जहां हर दुःख का समाधान रहे
हो एक दूसरे में निस्वार्थ प्रेम
और आपस में सब मिलकर रहे ।
जहां ऊंच नीच का फर्क न हो
न काले गोरे का भेद रहे
क्या हिन्दू और क्या मुसल्मा
सब में भाईचारा रहे ।
बेटियां भी हो बेटो के समान
दोनों को बराबर प्रेम मिले
न दान दहेज़ की हो चिंता
माता पिता भी निश्चिन्त रहे ।
मिले सबको एक समान अधिकार
अमीर - गरीब न आपस में लड़े
हो आदर,कर्त्तव्य और प्रेम जहां
ऐसा एक हिंदुस्तान बने।।
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क्या जूनून क्या आशिक़ी थी
हमने भी कभी मोहब्बत की थी ।
रहते थे जिसके खयालो में गुम
वही तो असली ज़िन्दगी थी।।
मर्ज़ी नहीं |
अब दिल मेरा ये भर गया , हर बात से मुकर गया ,
कुछ न पूछो यारो मुझसे मेरा मन हर जगह से उठ गया
जो मिला वही बदल गया , दिखा के सपने सुनहरे चल दिया
क्या उम्मीद करे किस्मत से हम जहाँ ठहरे वही दिन ढल गया
हर आह पे एक आह है अब दर्द भी शर्मसार है ,
कितना मिला है ये मुझे न इसको कुछ अनुमान है
कुछ कहने की तम्मना नहीं ! ये ज़िन्दगी अब अपनी नहीं ,
जो चाहा कभी हुआ नहीं , अब अपनी कोई मर्ज़ी नहीं ।।
** जिंदगी - नाटक और किरदार ** |
जिंदगी हर कदम एक नया मोड है
क्या होगा कल बस यही प्रश्न है !
है कभी पहेली तो कभी जिज्ञासा
कभी काली रात तो कभी उजियारा
कभी हंसा दिया तो कभी रुला दिया
बच्चे जैसे मन मेरा ज़िन्दगी ने उलझा दिया
कराके रिश्तों की पहचान मुझे
आँखों से पर्दा हटा दिया
इस जीवन के कितने रंग
और कितने ही पहलु है
जीना है बस यही जीवन
फिर क्यू इतने रूप इसने बदले है
कितने संघर्ष और कितने दिन
क्या कुछ भी है ज्ञात इसे
अबतो आदत पड गयी
जीना है हर हाल इसे !
फिर भी एक तस्सली है
हर रात की सुबह होती है
जीना तो ज़िन्दगी ने सीखा दिया
प्रेम और द्वेष में फर्क दिखा दिया
दिखा दिए सबने अपने रंग
चलना है बस अपने दम
है इसमें भी एक अपना मज़ा
खेल इसका अब समझ आने लगा
पूरा कर मेरा अरमान
करादे अपनी पहचान
या कहदू तुझे फरेब मैं
ज़िन्दगी एक नाटक
और इसका किरदार मैं ।
कुछ ऐसे ही |
किसी से इश्क़ होना गुनाह नहीं है
हर कसूर की सजा मिले ज़रूरी नहीं है ,
यह चाहत ही कुछ ऐसी है जनाब !
जिससे हो जाये उससे शिकायत नहीं है।
हर बात सबसे कहे मुनासिफ नहीं है
बस हाले दिल बयान करे तो ही सही है ,
ये आदत ही कुछ ऐसी है जनाब !
मिले जिससे दिल बस विश्वास वही है ।
हर राह पे हो फूल मुमकिन तो नहीं है
ठोकरो के बिना जीत मिले तो वो जीत नहीं है ,
ये जिंदगी ही कुछ ऐसी है जनाब !
कांटे हो जहाँ मिलता फूल वही है ।।
प्रकृति से मिलन |
ऐ दिल चल प्रकृति से मिले
जहाँ पूरी हो मेरी तमन्ना
और चित मेरा प्रसन रहे
हो इश्वरिये शक्ति का एहसास जहाँ
और उसकी रचनाओं से मन जुड़ता रहे
जहाँ मिले असीम सुकून
और दमकता आसमान रहे
धरती जहाँ हो हरयाली लपेटे
और पेड़ फल फूलो से लदे रहे
हो खिली धूप पत्तो से झांकती
और कल कल करती नदिया बहे
नंगे पाओं चल सकू जहाँ में
घास , पुष्प पर ओस दिखे
सुनाई दे जहाँ चिड़ियों की चहक
और पपीहे की पीहू रहे
साथ रहे कोयल की कुहुक
और गूंजती मेरी आवाज़ रहे
हो दरख्त जहाँ गगन चूमते
और भूमि को आकाश मिले
हो तारे नभ में बिछे हुए
और जुगनू धरती पर जलते दिखे
तिलक लगाउ उस मिट्टी से
जो वन उपवन से मुझे मिले
ओढ़ लू मैं वो रंग केसरी
जो उगते सूरज में मुझे दिखे
सजा लू बालों मैं वनफूल
और लाली गुलाब से ले लू मैं
दूध से झरने में नहाके
अंतर मन को पावन करलू मैं
सुन्दर पुष्पों से करके श्रृंगार
फिरसे मन में उमंगें भरलू
ऐ दिल चल प्रकृति से मिले
जहाँ धरती पे मैं स्वर्ग को पा लू
देख लू मैं कुदरत का करिश्मा
और गोद में उसकी खुद को छुपा लू l
Kagazi Izhaar |
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ये कलम जो मेरे हाथ है
प्यारा इसी का साथ है
इससे इश्क़ मुझे हो गया ,
नाम जो तेरा इसने लिख दिया !
बस ज़िक्र तेरा शुरू हो गया
और ये कागज़ समझो भर गया
न कुछ था ख्याल में मेरे
अब क्या - क्या लिखू सवाल है मेरे !
आके बता दे तू मुझे
लिखू तेरे प्यारे सुनहरे पल
या लिखू तेरे जीने के अरमान पूरे
कहाँ से शुरू करू कहाँ पे ख़तम
थक जाएँगी कलम मेरी लिख के तेरे रंग !
बस इतना ही लिखती हूँ
तेरा आना जैसे मुकम्मल दुआं
और जाना तेरा
ले जाएगी मेरी जान पिया !
जीने की चाह |
एक कशमश सी है ज़िन्दगी
क्यों इतनी अजीब सी है ज़िन्दगी
जो चाहा वो पाया नहीं
जो होना था हुआ नहीं।
किस बात का गुमान करे
ज़िन्दगी किसी की सगी तो नहीं
हर बात पे आहें भरते है
इसकी लिखी ही करते है।
क्या कहे ये कड़वा सच है ,
गुलाब सी ज़िन्दगी काँटों से घिरी है ।
कभी लगे समुन्द्र सी शांत
विशाल गहरी और जिंदगी लिए हुए
जिसका थाह न लगाया जा सके
ज़िन्दगी के रंग तो बहुत है दोस्तो
पर सबकी ज़िन्दगी लगती बेरंग है
किसी न किसी वजह से परेशान है हर कोई
देखना है और जीतना है हर चाल को इसकी
क्या पता थक जाये ये अपनी आदतों से
और जीत जाये हम ज़िन्दगी को जीने की चाह में !
फिर भी लगे जैसे प्रभु तू संग रहा !
तेरे होने का एहसास मुझे ऐसा लगे ,
मानो अँधेरी राह में भी दिए जल रहे ।
बेज़ार |
क्या लिखा है तूने कभी पढ़ लिया होता ,
मुझे ज़िन्दगी देने से पहले
तू भी इसे जी लिया होता ।
एक एहसान मुझपे भी कर दिया होता
कभी मेरे साथ आके
तू भी रह लिया होता ।
समझते हम भी तुझको ऐ ...खुदा !
ये जीवन भी तूने
अगर जी लिया होता ।
जब दूर तक कोई दिखाई नहीं देता ,
फिर तुझे भी अपनी किये
पे पछतावा होता ।
बस एक जवाब देदे मेरे खुदा मुझे ,
तेरी ज़िन्दगी क्यों मुझको
बेज़ार सी लगे ।
Mulaakat |
सपनो में ही सही
मुलाकात तो हुई
जो तुमसे कहने थी ,
वो बात तो हुई ।
माना के सपना था मेरा
जिसमे तुझसे मिल लिए ,
एक अरसे बाद ही सही
तेरी बाहों में सो लिए।
मुस्कुराती शक़ल तेरी
फिर आंखों में बस गयी
एक रात में ही मानो ,
मैंने कई सादिया जी ली ।
ऐसा ही कोई सपना
मेरे यार फिर दिखे
मैं सामने बैठु तेरे ,
तू मुझे देखता रहे !!
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Kehta Hai Dil |
आना है लौट के तुझे कहता है मेरा दिल
ऐसी कोई राह नहीं जिसकी नहीं मंज़िल
रहना है तेरे साथ ही कहता है मेरा दिल
ऐसी धरती नहीं कहीं जिसका आस्मां नहीं
प्यार है तुझसे ही कहता है है मेरा दिल
ऐसा कोई हृदय नहीं जिसमे बसता कोई नहीं
है उमीदे तुझसे ही कहता है मेरा दिल
ऐसी कोई रात नहीं जिसकी होती सुबह नहीं
इंतज़ार है तुझको भी कहता है मेरा दिल
ऐसा कोई शख्स नहीं जिसको मोहब्बत नहीं ।।
जो हर दिल को अज़ीज़ है ।
जिसको हो जाये ये ,
वो बड़ा ही खुशनसीब है ।
एक अलग दुनिया ,
एक नयी उम्मीद है ।
सभी रंगों से जो मिलके बने ,
एक नायाब तस्वीर है !
जो दिल के बेहद करीब है ,
उसी का नाम तो इश्क़ है ।
एक ख्याल ,एक ख़्वाब
और एक नई रौशनी है ! !
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...