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कभी तेरी गली से गुज़र गए
दीदार हुआ कभी तेरा
कभी तेरी आरज़ू में रह गए ।
ख्याल तेरा दिल में लिए
न जाने कितनी दूर निकल गए
पीछे मुड़ के देखा तो
कई अरसे गुज़र गए।
देर रात तलक तेरे बारे में सोचना
सुबह उठकर फिर तेरी राह देखना
भूले नहीं भोलेगा मुझे
दिन में भी तेरे सपने देखना।
आज भी है याद मुझे
वो तेरा मुझको देखना
दीदार होते ही मेरा
अपने बालों में हाथ फेरना
क्या जूनून क्या आशिक़ी थी
हमने भी कभी मोहब्बत की थी ।
रहते थे जिसके खयालो में गुम
वही तो असली ज़िन्दगी थी।।