Wednesday, November 24, 2021

लम्हे | LAMHE | Heart Touching Poetry In Hindi









बीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे  पाएंगे ,

जितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे । 


चाहेंगे जो कभी भूलना तो मुमकिन ना  कर पाएंगे ,

पहुंचेंगे उसी मोड़ पे जहाँ से लौट नहीं पाएंगे । 


मिलना तो एक खवाब है जो पूरा न हो सकेगा ,

वैसे ही जैसे कस्तूरी को मृग ढूंढता फिरेगा। 


एक चाह रह जाएगी बस तेरे पास ,

झूठी ही सही दिला देना आस ।। 


कह देना के मिलना होगा फिर एक बार ,

वैसे ही जैसे रहता है एक तारा चाँद के पास ।।।। 


Saturday, November 20, 2021

Short Poetry On love


 










मेरे इश्क़ ने तुझे खुदा बना दिया !

जो कह न सके किसी से कभी , 

तुझसे कह दिया !

अब और क्या कहे हमसफ़र मेरे ,

तेरी चाह में हमने खुद को भुला दिया। 

Friday, November 19, 2021

MOTIVATIONAL QUOTE | प्रेरणादायक सुविचार | THOUGHT FOR LIFE











ये दुःख भी बहुत जरूरी है

जो सुख को परिभाषित करता है। 

बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,

जो सुख का अनुभव कराता है । । 

Thursday, November 18, 2021

FOUR LINES ON LOVE & COMPROMISE | समझौता | SHORT POETRY










छोटी सी ज़िन्दगी में कितना नाराज़ रहोगे ?

आ जाओ सुलह करलो हमेशा याद रहोगे। 

ऐसी भी क्या बात जो  इतना खफा हो !

इंतज़ार हुआ बहुत बस अब न सजा दो।। 

Motivational Quote | प्रेरणादायक सुविचार | Thought for Life







 हर शुरुवात कठिन होगी 

 हर रास्ते पे ठोकरे होंगी। 

 है इसी का नाम ज़िन्दगी !

 आगे बढ़ के ही जीत हासिल होगी । । 


Kindly watch short video on Motivational Quote



Wednesday, November 17, 2021

सुविचार | आज का सुविचार | THOUGHT OF THE DAY


कार्य करने से पहले सोच लो के परिणाम क्या होगा ,

बिन सोचे जो कार्य किया तो सिर्फ पछतावा होगा । 

Monday, November 15, 2021

सुविचार | MOTIVATINOL QUOTE




न संकोच करो बस चल पड़ो

जहाँ मंज़िल है उधर बढ़ो  

रुकावटे तो इम्तिहान है  !

इन्हे उत्तीर्ण कर सफल बनो  ।।





Saturday, November 13, 2021

मजबूर |MAJBOOR | HINDI KAVITA












क्यों इतना मजबूर है 

हाथ कलम है  मेरे पर शब्दों से दूर है । 

क्यों इतना मजबूर  है 

रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।  


क्यू इतना मजबूर है 

करीब है तेरे पर नज़रों से दूर  है। 

क्यों इतना मजबूर है 

मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है  । । 


क्यों इतना मजबूर है 

मोती की तरह सीप से दूर है   । । 

क्यों इतना मजबूर है 

तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है    । । । 





कसूर |KASOOR | HINDI KAVITA

Pls Listen KASOOR to experience  more realistic poetry  by single click on below  Image .



साथी तेरे साथ ने असर ये किया

मुझे खुद से भी  बेखबर कर दिया ,

हाल पूछा किसी ने जो मेरा कभी 

हाले दिल हमने बयां कर  दिया । 


तेरे पहलू में आके पता ये चला

है करना फ़िज़ूल तुझसे गिला ,

तेरा तो  कोई कसूर नहीं 

जहाँ चाह नहीं  वहां जाना कहाँ  !


है चाहतो का खेल ये सब पिया  

जीता जो इसमें समझो  हारा जिया !!






Thursday, November 11, 2021

सुबह की चाय | Morning Tea | Short Poetry

 सुबह की चाय

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ये उगती सी धूप

महके से गुलाब

धीरे से कहना ,

कैसे है आप ?

बस यही है मेरे लिए 

सुबह की चाय , जनाब !!



Wednesday, November 10, 2021

ख्याल | four lines on Khayal or Care |Short Poetry on Love


ख्याल 

  

  





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  *** ख्याल ****                

हर वक़्त और हर पहर

क्या शाम और क्या सहर 

तेरा ख्याल है मुझे 

रहूँ चाहे किसी शहर !









Monday, November 08, 2021

फेयरवेल * विदाई समारोह (कविता ) FAREWELL Poem to Boss or Officers | Goodbye Msg For Coaches & Teachers

 फेयरवेल - विदाई समारोह  


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सर जी ,   ...................

आपके साथ बीते जो दिन वो यादगार बन गए 

आपका साहसी , संकल्पी और दृढ़ निश्चयी अंदाज़ 

आपकी पहचान बन गए 


स्टाफ के साथ मिलके रहना 

आशावादी होना और हमेशा खुश रहना 

आप तो दूसरों के लिए मिसाल बन गए। 


आँखें है नम और सबको है गम  

आपका साथ हमारे लिए था एक उजली किरण 

पारस हो आप , चेहरे पे एक तेज लिए हुए 

कम न हो जिसका शौर्य  ऐसी हस्ती लिए हुए । 


आपके साथ काम किया  ये किस्मत है हमारी 

फेयरवेल के दिन आपके है विनती हमारी 

हो आपकी उन्नति  हमेशा और मिले कामयाबी  


सर , आपको सलाम है 

आपके साथ काम करना हम सबके लिए अभिमान है

धन्यवाद

Sunday, November 07, 2021

दुःख - दर्द | हिन्द कविता | DUKH - DARD |

दुःख - दर्द







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ये दर्द सुकून देता  है 

ये तकलीफ भली लगती है

इस दुःख से शिकायत कैसी ,

ये ख़ुशी जान लेती है। 


ये दर्द जिया है मैंने

इसकी अब मुझको आदत है

न जाने ख़ुशी कैसी होगी ,

जो सिर्फ सुनाई देती है। 


हाँ , जी है मैंने थोड़ी से

कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी 

फिर भी दुःख का मज़ा लिया ,

जो मुझे छोड़ कभी गया नहीं। 


ये दुःख भी बहुत जरूरी है

जो सुख को परिभाषित करता है

बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,

जो सुख का अनुभव कराता है |


में सुखी खुद को समझाता  हूँ

जो दुःख मेरे संग रहता है

में इसको खूब समझाता  हूँ ,

ये मुझको खूब समझता है । 


 मैंने अब इससे दोस्ती कर ली

ये मुझको प्यारा लगता है

ये नहीं रहता जब पास मेरे  ,

कुछ खाली खाली लगता है  


दोस्तों सच पूछो तो 

दुःख मेरा सच्चा साथी है

मेरे सारे संगी छूट गए ! 

बस इसकी यारी बाकी है। 


ये सुख मुझे ख़ुशी क्या देगा ,

जब दुःख का पलड़ा भारी है ।


MisVi Poetry


Friday, November 05, 2021

अयोध्या। सियाराम कथा। AYODHYA | SIYA RAM KATHA | DIWALI IN AYODHYA


अयोध्या- सियाराम कथा












हुआ राम सीता का ऐसा मिलन !

देख कर रह  गए सब उनको मगन । 

रूप का एक सागर  माँ जनक नंदनीं 

और कमल नयन अपने  श्री राम जी । । 


हुआ ब्याह राम जी का सीता के  संग 

पर संजोग ऐसा , मिला चौदह साल का वन !

सिया राम संग लक्ष्मण भी वन को चले । 

छोड़ कर मोह , माया और अयोध्या को तज  । । 


रोते बिलखते सभी वियोग में रह गए ,

 रघुपति  पर अपने वचन से न डिगे । 

किया पालन माँ की आज्ञा का जो ,

फिर न किया संकोच किसी बात को । । 


आयी बिपदा बड़ी ही वनवास में ,

देखा रावण ने मैथिलि  को जब कुटिया में  । 

धरा रूप भिक्षु का तब दुष्ट ने ,

अपहरण किया देवी का दशानन ने  । ।  

 
 अंत को अपने खुद लंकापति  ने न्योता दिया ,
 
श्री राम की महिमा को जो अनदेखा किया  । 


 राम सन्देश बैदेही  को श्री हनुमन ने दिया 

राघव  की मुंदरी को माँ  तक पंहुचा दिया  । 

पा के मुंदरी माँ सिय प्रस्सन  हो  गयी ,

हाल सुनके श्री राम का भाव विभोर हो गयी  ।  । 


वनवास में भक्त हनुमान , श्री राम से मिले ,

और भक्तो में प्रभु के परम भक्त  हो  गए  । 

बानर सेना ने नामुमकिन को मुमकिन किया ,

और समुद्र में भी  राम सेतु बना दिया  ।  । 


जो बोया रावण ने वो उसे काटना पड़ा ,

अपनी सोने की लंका को खोना पड़ा  । 

पायी मुक्ति , जो प्राण प्रभु ने हरे !

अन्याय को न्याय के आगे पछताना  पड़ा  ।  । 


घमंड रावण का आखिर टिक न सका 

और बुराई को भलाई के आगे झुकना पड़ा  । 

विभीषण  लंका का राजा बना ,

साथ देके प्रभु का वो भी तर गया  ।  । 


राह तकते जिनकी आँखे थकी 

जानकी माँ उनसे मिलने  चली ,

राम प्रभु भी सीता की ओर चले 

मिलने की ख़ुशी अपने मन में लिए । । 


कारवां चल दिया फिर अयोध्या की और 

फहराता रहा पताका श्री राम चारो और  । ।  । 

घर - घर दीप जले और मनी दिवाली ,

हर चेहरे पे आयी एक मुस्कान पुरानी  । । 


समाप्त  हुआ अयोध्या नगरी का इंतज़ार यहाँ ।  । 

जब सियाराम सियाराम हरसू होने लगा । । ।  । 

 
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 सियाराम

  


Thursday, November 04, 2021

हमसफ़र # HAMSAFAR

 हमसफ़र










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ओस की बूंदों जैसे 

पहले प्यार की खुशबू जैसे 

इंद्रधनुष के रंगों जैसे 

कोई दुआं क़ुबूल हो जैसे 

ऐसी है तेरी मुस्कान 

हमसफ़र मेरे , 

तू मेरा है अभिमान।। 



Tuesday, November 02, 2021

बचपन की राहें ( हिंदी कविता ) | Childhood Memories | Missing Childhood # बचपन की यादें # LIFE OF CHILDHOOD


Pls Listen Bachpan Ki Raahein  to experience  more realistic poetry  by single click on below
 Image .


बचपन की राहें









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कोई बता दे इस दिल को कैसे अब में सँभालू 

फिर कैसे इसको कैद करूं फिर कैसे इसको मना लूं  


कैसे पूरी करूं यह ख्वाहिश फिर से बचपन जी पाने की

फिर से गुड्डी गुड्डू के संग रेत के महल बनाने की   


फिर वापिस उन गलियों में जाके खो जाने की

और दिन भर खेल खेल के वापिस थक के सो जाने की   


बचपन की राहें पीछे छूटीं सब चेहरे अब अनजाने हैं 

जो जाने पहचाने लगते थे अब बस वो अफ़साने हैं   


फिर भी दिल को समझाती हूँ के समय हैं पीछे छूट गया 

तू आज भी छोटा बच्चा है जब तेरा बचपन बीत गया 


अब भूल जा सारी यादों को जो सिर्फ तुझे याद आती है 

आ जिले अब इस पल को जिसमें जीवन बाकी है      

Sunday, October 31, 2021

चाँद - रात का साथी | CHAND - RAAT KA SAATHI | Hindi Kavita


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चाहू चाँद में तुझे चुरा लू ..

दुनिया की नज़रों से  तुझको छुपा लू !

देदू इतना प्यार तुझे मैं 

धरती और अम्बर की दूरी मिटा दू !


इतनी बातें तुझसे करलू !

रात का तुझको साथी चुन लू  !

साथ में तेरे मिलके  ऐ चाँद 

दुनिया की मैं  सैर करलू !


चाँदनी को तेरी  अपना गहना बना लू !

शीतलता को अपने मन में बसा लू !

मान लू अपना  चाँद  🌛  तुझे मैं 

और तुझको अपने माथे  🌙 पे सजा लू !! 

चाँद - रात का साथी









Thursday, October 28, 2021

फिर कह दो .. | Fir Keh Doo | Sad Poetry On Love

फिर कह दो













एकबार फिर कह दो ...

जो झूठ है , वही कह दो ...

साथ छोड़ा है  तुमने ही !

पर दोष हमें दे दो !! 


एकबार फिर कह दो ...

रिश्ता क्या है ? कह दो ...

तुमसे निभाया न गया !

साथ हमने छोड़ा .. कह दो !!


एकबार फिर कह दो ...

हम गलत है ! कह दो ...

तुमसे जो की .. उम्मीद !

उसकी सज़ा दे दो !!

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Kindly watch Short video On FIR KEH DO 





Tuesday, October 26, 2021

पतंग | हिंदी कविता | PATANG | Poem on Kite

पतंग


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बीती है जो तेरे संग 

जीये  है बस वही पल 

यादें है  उन्ही लम्हों की 

जब थी पतंग डोर  के संग !


हर दिन एक नयी कहानी थी 

आस्मां से ऊपर पतंग उड़ानी थी 

थे आकाश में फैले हुए 

बस  रंग प्यार के बिखरे हुए !


वो भी क्या रंगीन शाम थी 

डोर हाथ में और पतंग तेरे नाम की 


एक डर था मुझे  कहीं पतंग न कट जाये 

डोर रहे  बस हाथ मेरे 

और , तू आंखों से ओझल हो जाये  !


Sunday, October 24, 2021

प्रिय -हिंदी कविता #Poetry On Valentine's Day

प्रिय- Love Poetry

 


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क्यों न प्यार करले  ऐसे मौसम  में  

है सबकुछ भुला दिया तेरी चाहत ने 

मिले जबसे तुम कोयल कुहकने लगी 

हर डाली पे  कलियाँ हैं खिलने लगी। 


उम्मीद की किरण फिर जगने लगी 

तेरी संगत से  दुनिया बदलने लगी 

ये चाँद  और खूबसूरत लगने लगा  

चांदनी भी अपनी  बरसाने लगा 


उल्लास ज़र्रे ज़र्रे  में दिखने लगा 

मन उपवन फूलों सा  महकने लगा 

अब तो आइना भी  तेरी सूरत दिखाने लगा 

और  बड़ा सा  दिन  छोटा लगने लगा


क्यों न प्यार करले  ऐसे मौसम  में  !

ये समां मुझे  अपने प्रिय से मिलाने लगा !

Saturday, October 23, 2021

सफर - हिंदी कविता | Hindi Poem On Safar - The Journey Of Life..

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 Safar - The Journey Of Life..

 सफर - The Journey Of Life.


  







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जिंदगी रही सफर में 

सफर ही जिंदगी रहा  

कभी अकेले रहे हम 

कभी साथ किसी का मिल गया 


बीता सफर यूँ जैसा के  

पलकें झुकी मेरी 

आंखें खुली  तो पाया 

हाथों से लकीरें ही मिट गयी ।


मिले सफर में जो  मेरे अपने ख़ास थे 

मूँद लू आंखें  तो चेहरे वही दिखे 

छूट गए जो सफर में वो भी अज़ीज़ थे 

हम कुछ नहीं थे उनके पर वो मेरे करीब थे !


ज़िन्दगी सफर में खुद से रूबरू कराती रही मुझे 

है सफर ही ज़िन्दगी बस बताती रही मुझे 

जो मिल गया मुझे वो भी मेरा नहीं 

बस इसी बात का एहसास कराती रही मुझे  !

Friday, October 22, 2021

संसार * SANSAAR - HINDI POEM



चलो कुछ बात करे ,

आज एक साथ रहे । 

कुछ तुम हमसे कहो ,

हम तुमसे कहे । 


फिर छेड़े पुराने किस्से *

कोई पूरानी * तान सुने ,

चलो कुछ बात करे। 


फिर तुमसे - एकबार  मिले !

सूरत को तेरी निहारे । 

 तेरी आँखों से दिल में उतरके !

अपना तुझको बना ले । 


फिर चुपके से * पास आके !

सारी  दूरियां अपनी  मिटा दे ।। 

और फिर कह्दे * एकबार ,

है !  तुझसे ही ,  मेरा संसार  ।।।। 



Tuesday, October 19, 2021

मोहब्बत * Shayari


इश्क़ हम * तुझसे डरते है !

ये प्यार न हो * बस कहते है !

जीते जी * जो मार दे  ... !

मोहब्बत * उसी  को कहते है !!


शुरुवात * SHURUWAT - HINDI KAVITA



ये शुरुवात कैसी होगी ?

तुझसे मुलाकात कैसी होगी ?

जिसे देखने की तम्मना है मुझे !

जाने वो बरसात कैसी होगी ! 


एक उम्मीद बंधी होगी !

कोई  फ़रियाद पूरी होगी। 

जिसे माँगा है दुआओं  में ही ,

जाने वो मुराद कैसी होगी।। 


कुछ भीगी पलकें होंगी। 

थोड़ी मायूसी छायी होगी ,

जिसे देखे सुकून आएगा !

जाने वो सूरत कैसी होगी ?


जो हर वक़्त साथ रहा मेरे !

मुझको अपनी बांहो में लिए !

जब सामने आएगा वो !

जाने वो ख़ुशी कैसी होगी ?

  

Sunday, October 17, 2021

लोह पथ गामिनी - रेल : रेलयात्रा * हिंदी कविता - RHYTHMIC POEM ON TRAINS JOURNEY

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          **** रेलयात्रा *****

 रेल : रेलयात्रा 


 





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लहरों सी लहराती जाये 

सीटी बजाती धुआं उड़ाती जाये 

कोई न रोक सके रफ़्तार 

लोह पथ गामिनी ये कहलाये


दुनिया भर का  बोझ उठाये 

रात और दिन का सफर कराये 

सबसे उत्तम इसकी  सवारी 

सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी 


भ्रमण रेल का  मन भरमाये  

कुल्हड़ की चाय  जी ललचाये 

चाट पकोड़ी  चटनी कचौड़ी 

सब्ज़ी - पूरी  भूख बढ़ाये ।


रेल की दोस्ती  याद रह जाये 

छोटी मुलाकातें बड़ी बातें कराये 

मिलजुल के हमें  रहना सिखाये 

भेदभाव की भावना  मिटाये 


नगरी नगरी सबको पहुचाये 

दोस्तो, रिश्तेदारों से हमें मिलाये 

कश्मीर से कन्याकुमारी की 

यात्रा  ये आसान बनाये


मंज़िल से ज़ादा  सफर का मज़ा है 

होता सबको उल्लास बड़ा है 

रेल से सीखा  हमने यारो 

मिलो की दूरी तत्काल में हो जाये 

रिश्ते हो करीब तो दूरी घट जाये। 



Friday, October 15, 2021

नियति * Niyati - हिंदी कविता

नियति - Destiny


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लिखना है पर शब्द कहाँ है 

सोचते है पर ध्यान कहाँ है 

कोई बता दे  हुआ क्या है 

हम है यहाँ  पर दिल कहाँ है ?


है एक  सन्नाटा पसरा हुआ 

हर कोना अकेले में  बसा हुआ

कोई बता दे  ये आलम क्या है  

हम है मौन  बाकियुओं को हुआ क्या है ? 


सब रास्ते है   रुके हुए 

पर भीड़ में सब चल रहे 

कोई बता दे जाना कहाँ है 

हम है तैयार अब जीना कहाँ है ?


है एक धुंध छायी हुई !

हर शख्स को  भरमाई हुई 

कोई बता दे  ये नियति  क्या है 

जिंदगी तो ठीक है   

कल का भरोसा क्या है !

                        

 

 

         


Monday, October 11, 2021

चाँद संग चकोर * CHAND SANG CHAKOR - HINDI KAVITA

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 चाँद संग चकोर 




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किसी रोज़ तेरे साथ में 

तारो की  छाओं में  

 ले हाथों को हाथ में 

चांदनी  रात में 

जियेंगे  कुछ पल  साथ में  !


हो समां वो खुशनुमा 

एक चाह में लिपटा हुआ 

के   देखू जब मैं आईना 

तेरा चेहरा ही मुझे दिखे !

 
उस रात की  न भोर हो 

बस सुकुन चहु और हो 

हो जुगनू  जगमगा रहे 

हो एक आस में  चमक  रहे !


के  मिलना  तेरा मेरा हो 

न  दरमियाँ   कोई रहे

दिल  मेरा यही कहे 

के अब चकोर चाँद संग  रहे !! 





 


Friday, October 08, 2021

कुसुम * #Birth Of A Child #Poetry On Baby Shower


Birth - God's Grace







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ये सफर खूबसूरत  लगता है। 

शाख से  कोई फूल गिरा लगता है ,

आती  है   जिसकी खुशबू  मुझे  

वो मुझे अपना ही अंश लगता  है 


सौम्य , मासूम , नटखट और खूबसूरत  

जो  मुझे  माँ कहके बुलाता है 

एक ही   विधाता की  संतान है हम 

वो मुझे  उनका ही स्वरुप लगता है 


चाहू उसे  हरदम  खिलता हुआ देखू 

वो मुझे  अपने आप  में  एक चमन लगता है ।

क्या किस्मत होगी  उस माली की 

जिसकी  बगिया में  

उस जैसा  कुसुम  खिलता है  !



Wednesday, October 06, 2021

# In Love With Nature # Attraction Of Beauty # Hindi Poetry On Love

Love With Nature


उफ़ ये मौसम 

सुहानी सी फ़िज़ा 

उसपे ये अदा 

कैसे न हो फ़िदा 

फिर भी इलज़ाम 

 कैसे नादान 

कातिल है कौन 

अब कहे * कौन 

 हार गए  

हम खुद ही दिल को 

अब  तुझको इलज़ाम दे कौन ?


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Monday, October 04, 2021

अल्हड़पन * ALAHDPAN - HINDI POEM | FREESOUL | SELFLOVE | BE YOU | LOVE YOURSELF

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BE YOU









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खुले आस्मां के तले 
धुन में अपनी मस्त रहे

आवारा बादल जैसे 
जिधर चाहा  उधर चल दिए 

एक नौका पतवार बिना 
आप अपनी मंज़िल तय करे

मज़ा रहा इस जीने में 
जब नदिया  खुद अपना मार्ग चुने

है  यही  ज़िन्दगी !
फूलों और काँटों से भरी

है खुद से मेरा अपना मिलन 
मैं और मेरा अल्हड़पन  

जिया है जिसे मैंने 
मान के वरदान सजन ।

Friday, October 01, 2021

नज़रअंदाज़ - Short Poetry On Ignorance Or Avoidance In Love

 नज़रअंदाज़ 








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एक अरसा हुआ मिले 

तेरी मेरी बात हुए 

और कितना इंतज़ार करे 

सोचते है तेरी तरह 

हम भी तुझे नज़रअंदाज़ करे !



                

 

      

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