WAJAH |
आंखों को तुझे देखने की
आदत सी हो गयी
हर दिन तेरे साथ गुज़रे ये
फरियाद हो गयी ,
अब जी न सकेंगे यार
हम तेरे बैगर
तू मेरे जीने की
वजह जो हो गयी ।
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एक बार फिर बता दे मुझे ,
है कितना प्यार मुझसे जता दे मुझे ।
माना के ज़रूरत नहीं दिखावे की तुझे !
फिर भी दिल बहलाने के लिए बता दे मुझे ।
जानती हूँ ! दुआओं में तेरी में ही तो हूँ !
क्यू न फिर एक बार खुदा से मांग ले मुझे ।
है तनहा तू भी इस जहान में !
आ साथ दे मेरा और अपने गम देदे मुझे ।
ये इश्क़ ही तो ज़िन्दगी है जो जी रहे है हम !
भूल जा इसमें खुद को और गले लगा ले मुझे ।।
इन दूरियूं को अपनी नज़्दीकियूं में बदल दे !
और बाकी की ज़िन्दगी आ मिल के जी ले ।।।।
Bataa De Mujhe |
Short Poetry On Past
क्या खबर थी की ऐसा वक़्त होगा
जो सोचा न कभी वो हक़ीक़त होगा ,
जो रहता था आंखों के सामने हमेशा
वो आज एक बीता हुआ कल होगा !!
कॉंच का टुकड़ा |
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ये दर्पण मुझसे अब खेलने लगा
बीते समय में मुझे ले जाने लगा
हटती नहीं है नज़र इससे अब
मुझे मेरे अतीत से मिलाने लगा ।
कभी माँ की ममता से मिला दिया
और पलकों को मेरी भिगो दिया।
कभी बचपन मुझे फिरसे दिखा दिया
जिसको भूले मुझे एक ज़माना हुआ ।
कभी पुराने दोस्तो से मिला दिया
बिंदास ज़िन्दगी को दिखा दिया।
कोई हसीं खवाब जैसे में देखने लगी
फिर न आईना से मेरी नज़रे हटी।
मुस्कुराती हुई एक छवि भी दिखी
साथ रहने के जिसके संग कस्मे हुई
कैसे बीते थे दिन कैसे बीती थी रात
दर्पण भी खुश था देख के ऐसा प्यार।
एक सजी हुई दुल्हन भी मुझको दिखी
भूल बाबुल का घर जो पी घर चली।
जो बंधी थी बस प्यार के बंधन से ही
जानती थी बस प्रेम की भाषा को ही।
थे अरमान जिसके बस मिलके चले
बीती ज़िन्दगी को भूल बस खुश रहे।
क्या पता था अंजाम क्या होगा ?
शीशा जिसके साथ खेल रहा था
वो एक कॉंच का टुकड़ा होगा।
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हर शाम साथ गुज़ारी है
ज़िन्दगी थोड़ी नहीं पूरी तूने बिगाड़ी है
और कितनी तारीफ करे दोस्त तेरी हम
एकसाथ रहने के लिए मार भी हमने खाई है
हर दिन एक नया झूठ बोला है
दोस्ती को कभी न तोला है
तेरे साथ रहने के लिए दोस्त मेरे
हॉलिडे को भी वर्किंग बोला है
इतनी शिद्दत से तो पढाई न की कभी
जितनी शिद्दत से निभी दोस्ती अपनी
माना शिकायत रही सबको हमसे बहुत
फिर भी बरक़रार रही दोस्ती अपनी
साथ रहे हम हमेशा
दुआँ है यही
बस दोस्ती को अपनी
कभी नज़र लगे नहीं ।
ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
चेहरा तेरा आंखों में बसे
ख्याल तेरा मेरे दिल में रहे।
ये कैसी मोहब्बत है तेरी ?
जितना भूलू इसे !
उतनी तेरी याद आए ।।
दुष्मन भी टेके घुटना अपना।
जिसके लाल ने - देश के लिए - दी अपनी जान है।
भारत देश करे तुझको नमन।।
बीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे पाएंगे ,
जितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे ।
चाहेंगे जो कभी भूलना तो मुमकिन ना कर पाएंगे ,
पहुंचेंगे उसी मोड़ पे जहाँ से लौट नहीं पाएंगे ।
मिलना तो एक खवाब है जो पूरा न हो सकेगा ,
वैसे ही जैसे कस्तूरी को मृग ढूंढता फिरेगा।
एक चाह रह जाएगी बस तेरे पास ,
झूठी ही सही दिला देना आस ।।
कह देना के मिलना होगा फिर एक बार ,
वैसे ही जैसे रहता है एक तारा चाँद के पास ।।।।
मेरे इश्क़ ने तुझे खुदा बना दिया !
जो कह न सके किसी से कभी ,
तुझसे कह दिया !
अब और क्या कहे हमसफ़र मेरे ,
तेरी चाह में हमने खुद को भुला दिया।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है।
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है । ।
छोटी सी ज़िन्दगी में कितना नाराज़ रहोगे ?
आ जाओ सुलह करलो हमेशा याद रहोगे।
ऐसी भी क्या बात जो इतना खफा हो !
इंतज़ार हुआ बहुत बस अब न सजा दो।।
हर शुरुवात कठिन होगी
हर रास्ते पे ठोकरे होंगी।
है इसी का नाम ज़िन्दगी !
आगे बढ़ के ही जीत हासिल होगी । ।
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क्यों इतना मजबूर है
हाथ कलम है मेरे पर शब्दों से दूर है ।
क्यों इतना मजबूर है
रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।
क्यू इतना मजबूर है
करीब है तेरे पर नज़रों से दूर है।
क्यों इतना मजबूर है
मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
मोती की तरह सीप से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है । । ।
फेयरवेल - विदाई समारोह |
सर जी , ...................
आपके साथ बीते जो दिन वो यादगार बन गए
आपका साहसी , संकल्पी और दृढ़ निश्चयी अंदाज़
आपकी पहचान बन गए
स्टाफ के साथ मिलके रहना
आशावादी होना और हमेशा खुश रहना
आप तो दूसरों के लिए मिसाल बन गए।
आँखें है नम और सबको है गम
आपका साथ हमारे लिए था एक उजली किरण
पारस हो आप , चेहरे पे एक तेज लिए हुए
कम न हो जिसका शौर्य ऐसी हस्ती लिए हुए ।
आपके साथ काम किया ये किस्मत है हमारी
फेयरवेल के दिन आपके है विनती हमारी
हो आपकी उन्नति हमेशा और मिले कामयाबी
सर , आपको सलाम है
आपके साथ काम करना हम सबके लिए अभिमान है
धन्यवाद
दुःख - दर्द |
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ये दर्द सुकून देता है
ये तकलीफ भली लगती है
इस दुःख से शिकायत कैसी ,
ये ख़ुशी जान लेती है।
ये दर्द जिया है मैंने
इसकी अब मुझको आदत है
न जाने ख़ुशी कैसी होगी ,
जो सिर्फ सुनाई देती है।
हाँ , जी है मैंने थोड़ी से
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी
फिर भी दुःख का मज़ा लिया ,
जो मुझे छोड़ कभी गया नहीं।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है |
में सुखी खुद को समझाता हूँ
जो दुःख मेरे संग रहता है
में इसको खूब समझाता हूँ ,
ये मुझको खूब समझता है ।
मैंने अब इससे दोस्ती कर ली
ये मुझको प्यारा लगता है
ये नहीं रहता जब पास मेरे ,
कुछ खाली खाली लगता है
दोस्तों सच पूछो तो
दुःख मेरा सच्चा साथी है
मेरे सारे संगी छूट गए !
बस इसकी यारी बाकी है।
ये सुख मुझे ख़ुशी क्या देगा ,
जब दुःख का पलड़ा भारी है ।।
MisVi Poetry |
अयोध्या- सियाराम कथा |
हुआ राम सीता का ऐसा मिलन !
देख कर रह गए सब उनको मगन ।
रूप का एक सागर माँ जनक नंदनीं
और कमल नयन अपने श्री राम जी । ।
हुआ ब्याह राम जी का सीता के संग
पर संजोग ऐसा , मिला चौदह साल का वन !
सिया राम संग लक्ष्मण भी वन को चले ।
छोड़ कर मोह , माया और अयोध्या को तज । ।
बचपन की राहें |
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कोई बता दे इस दिल को कैसे अब में सँभालू
फिर कैसे इसको कैद करूं फिर कैसे इसको मना लूं
कैसे पूरी करूं यह ख्वाहिश फिर से बचपन जी पाने की
फिर से गुड्डी गुड्डू के संग रेत के महल बनाने की
फिर वापिस उन गलियों में जाके खो जाने की
और दिन भर खेल खेल के वापिस थक के सो जाने की
बचपन की राहें पीछे छूटीं सब चेहरे अब अनजाने हैं
जो जाने पहचाने लगते थे अब बस वो अफ़साने हैं
फिर भी दिल को समझाती हूँ के समय हैं पीछे छूट गया
तू आज भी छोटा बच्चा है जब तेरा बचपन बीत गया
अब भूल जा सारी यादों को जो सिर्फ तुझे याद आती है
आ जिले अब इस पल को जिसमें जीवन बाकी है
चाहू चाँद में तुझे चुरा लू ..
दुनिया की नज़रों से तुझको छुपा लू !
देदू इतना प्यार तुझे मैं
धरती और अम्बर की दूरी मिटा दू !
इतनी बातें तुझसे करलू !
रात का तुझको साथी चुन लू !
साथ में तेरे मिलके ऐ चाँद
दुनिया की मैं सैर करलू !
चाँदनी को तेरी अपना गहना बना लू !
शीतलता को अपने मन में बसा लू !
मान लू अपना चाँद 🌛 तुझे मैं
और तुझको अपने माथे 🌙 पे सजा लू !!
फिर कह दो |
एकबार फिर कह दो ...
जो झूठ है , वही कह दो ...
साथ छोड़ा है तुमने ही !
पर दोष हमें दे दो !!
एकबार फिर कह दो ...
रिश्ता क्या है ? कह दो ...
तुमसे निभाया न गया !
साथ हमने छोड़ा .. कह दो !!
एकबार फिर कह दो ...
हम गलत है ! कह दो ...
तुमसे जो की .. उम्मीद !
उसकी सज़ा दे दो !!
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Kindly watch Short video On FIR KEH DO
पतंग |
बीती है जो तेरे संग
प्रिय- Love Poetry |
क्यों न प्यार करले ऐसे मौसम में
है सबकुछ भुला दिया तेरी चाहत ने
मिले जबसे तुम कोयल कुहकने लगी
हर डाली पे कलियाँ हैं खिलने लगी।
उम्मीद की किरण फिर जगने लगी
तेरी संगत से दुनिया बदलने लगी
ये चाँद और खूबसूरत लगने लगा
चांदनी भी अपनी बरसाने लगा
उल्लास ज़र्रे ज़र्रे में दिखने लगा
मन उपवन फूलों सा महकने लगा
अब तो आइना भी तेरी सूरत दिखाने लगा
और बड़ा सा दिन छोटा लगने लगा
क्यों न प्यार करले ऐसे मौसम में !
ये समां मुझे अपने प्रिय से मिलाने लगा !
जिंदगी रही सफर में
सफर ही जिंदगी रहा
कभी अकेले रहे हम
कभी साथ किसी का मिल गया ।
बीता सफर यूँ जैसा के
पलकें झुकी मेरी
आंखें खुली तो पाया
हाथों से लकीरें ही मिट गयी ।
मिले सफर में जो मेरे अपने ख़ास थे
मूँद लू आंखें तो चेहरे वही दिखे
छूट गए जो सफर में वो भी अज़ीज़ थे
हम कुछ नहीं थे उनके पर वो मेरे करीब थे !
ज़िन्दगी सफर में खुद से रूबरू कराती रही मुझे
है सफर ही ज़िन्दगी बस बताती रही मुझे
जो मिल गया मुझे वो भी मेरा नहीं
बस इसी बात का एहसास कराती रही मुझे !
चलो कुछ बात करे ,
आज एक साथ रहे ।
कुछ तुम हमसे कहो ,
हम तुमसे कहे ।
फिर छेड़े पुराने किस्से *
कोई पूरानी * तान सुने ,
चलो कुछ बात करे।
फिर तुमसे - एकबार मिले !
सूरत को तेरी निहारे ।
तेरी आँखों से दिल में उतरके !
अपना तुझको बना ले ।
फिर चुपके से * पास आके !
सारी दूरियां अपनी मिटा दे ।।
और फिर कह्दे * एकबार ,है ! तुझसे ही , मेरा संसार ।।।।
Gudmorning अपना ख्याल रखिये इसी प्रार्थना के साथ आपको सुप्रभात