खुद से मिले बहुत दिन हुए
है हाल क्या ना याद है
सूरत भी नहीं देखी अपनी
अब तो आइना भी नाराज़ है
तुझसे ही फुर्सत नहीं
तेरी कमी भी कुछ कम नहीं
हरपल है तुझको ढूंढ़ती
ये आँखें मेरी थक गयी
कैसे बीते दिन रात है
कुछ ना मुझको याद है
बिन तेरे मेरा होना
लगता एक अधूरी बात है
तेरी कमी का एहसास है
ये दिल आज भी उदास है
तू चैन मेरा ले गया
क्या तुझको कुछ भी याद है ।