चुप है और चंचल भी ,
लगती हंसमुख कुछ अपनी सी
एक अनकही कहानी है ,
ये लड़की जानी पहचानी है ।
है एक पहेली सी !
रहती है शरमायी सी
अपने को खुद में समेटे हुए
दिखती है हर शाम मुझे ।
एक नया रंग लिए हुए । ।
आवाज़ है सुनी हुई
एक झंकार ली हुई ,
आँखें भी है ठहरी हुई ,
कुछ मुझसे कहती हुई ।
सोचता हूँ पूछ लू !
क्यों इतनी ख़ामोशी है ,
है किसी का इंतज़ार !
या फिर यही ज़िन्दगी है ।।