जीवन सफ़र |
किसी को मिली धूप
तो किसी को छाँव मिल गयी ,
किसी को हरयाली ज़मीन
तो किसी को बंज़र मिल गयी ।
दोष तो किसी का नहीं
ये तो वक़्त की माया है
कभी नाँव पानी में
कभी नाँव में पानी समाया है ।
किसी ने पाए मोती
तो किसी को मिली रेत
गहरा ये जीवन समुन्दर
बस नसीबो का है खेल।
किसी की नैया डूबी
तो किसी की पार लग गयी
कभी खुशियां रही मुट्ठी में
तो कभी रेत सी फिसल गयी
है बस एक मिटटी की काया !
जिसपे तू इतना इतराया
और कुछ नहीं है पास तेरे ,
जो है बस ईश्वर का साया !!