*****************************************
देखी सारी झूठी खुशियां
रंग ही फूलों से अलग हुए
है, बस चेहरे पे चेहरा
झूठी ही तस्सली देनी है
बस अपनी -अपनी कहनी है
सच क्या है ये पता नहीं
अपने सिवा कोई दिखा नहीं
अब क्या कहे तुझसे नादान !
के तू आज भी है "अनजान"।