Love With Nature |
उफ़ ये मौसम
सुहानी सी फ़िज़ा
उसपे ये अदा
कैसे न हो फ़िदा
फिर भी इलज़ाम
कैसे नादान
कातिल है कौन
अब कहे * कौन
हार गए
हम खुद ही दिल को
अब तुझको इलज़ाम दे कौन ?
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हे भोलेभंडारी त्रिपुरारी तुम हो जटाधारी हाथ में त्रिशूल और माथे पे चंद्र नंदी का साथ और सापों का संग पल भर में मान जाते ऐसे भगवन रूद्र रूप...