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Thursday, November 18, 2021

FOUR LINES ON LOVE & COMPROMISE | समझौता | SHORT POETRY










छोटी सी ज़िन्दगी में कितना नाराज़ रहोगे ?

आ जाओ सुलह करलो हमेशा याद रहोगे। 

ऐसी भी क्या बात जो  इतना खफा हो !

इंतज़ार हुआ बहुत बस अब न सजा दो।। 

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