क्या ज़िद थी तेरी के दूर हो गए
सही होके भी हम गलत हो गए
तेरे फैसलों ने मजबूर इतना किया
के पास रहके भी तुझसे दूर हो गए
सच साबित न कर सके हम कभी भी
और झूठ के आगे तेरे मजबूर हो गए
जो तूने कहा वो सह न सके हम
क्या सामना करते नज़र से दूर हो गए
जो उम्मीद थी मेरी वो न उम्मीद हो गई
जिसे साथ देना था वो सबसे पहले दूर हो गए
क्या खबर थी यूँ बिखरेगा आशियान मेरा
के घर जोड़ने वाला ही तोड़ेगा घर मेरा