मर्ज़ी नहीं |
अब दिल मेरा ये भर गया , हर बात से मुकर गया ,
कुछ न पूछो यारो मुझसे मेरा मन हर जगह से उठ गया
जो मिला वही बदल गया , दिखा के सपने सुनहरे चल दिया
क्या उम्मीद करे किस्मत से हम जहाँ ठहरे वही दिन ढल गया
हर आह पे एक आह है अब दर्द भी शर्मसार है ,
कितना मिला है ये मुझे न इसको कुछ अनुमान है
कुछ कहने की तम्मना नहीं ! ये ज़िन्दगी अब अपनी नहीं ,
जो चाहा कभी हुआ नहीं , अब अपनी कोई मर्ज़ी नहीं ।।