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** भारतीय वीर **
ये भारतीय वीर की गाथा है ,
जो चट्टानों से लड़ना जानता है।
क्या अन्धकार और कैसा डर !
ये निडर होके - आगे बढ़ना जानता है।
न दुश्मन के आगे हारा है ,
न पीछे कदम हटाया है
ये वो फौलादी सीना है ,
जो भारतिय जवान कहलाता है।।
कितनी ही जंगे जीती है।
कितनो को घाट उतारा है।
इनकी शान का क्या कहना !
हमेशा विजय का बिगुल बजाया है।
है इनकी बिसात में कमी नहीं ,
लक्ष्य से इनको - भटका सकते नहीं ।
इनकी दृढता के आगे ,
दुष्मन भी टेके घुटना अपना।
ज़ज़्बे को इनके सलाम है।
भारत देश को इनपे अभीमान है।
उस माँ को कोटि कोटि प्रणाम है ,
जिसके लाल ने - देश के लिए - दी अपनी जान है।
है इनकी शूरता में इतना दम ,
शत्रु को मारे घर में घुसकर ।
हे-वीर सिपाही भारत के !
भारत देश करे तुझको नमन।।
** जय हिन्द जय भारत **