बेज़ार |
क्या लिखा है तूने कभी पढ़ लिया होता ,
मुझे ज़िन्दगी देने से पहले
तू भी इसे जी लिया होता ।
एक एहसान मुझपे भी कर दिया होता
कभी मेरे साथ आके
तू भी रह लिया होता ।
समझते हम भी तुझको ऐ ...खुदा !
ये जीवन भी तूने
अगर जी लिया होता ।
जब दूर तक कोई दिखाई नहीं देता ,
फिर तुझे भी अपनी किये
पे पछतावा होता ।
बस एक जवाब देदे मेरे खुदा मुझे ,
तेरी ज़िन्दगी क्यों मुझको
बेज़ार सी लगे ।