Short Poetry On बिछड़ना हमें था
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सोचता हूँ तुमसे मुलाकात क्यों हुई
क्यों हमारी इतनी बातें हुई
तकलीफें ज़िन्दगी में कम न थी
जो तेरी यादें भी उनमे शामिल हुई !
हर मुसीबतो से लड़ता रहा हूँ
देर से ही सही पर जीतता रहा हूँ
क्या पता था शिकस्त प्रेम में होगी
जीत के भी हार जाऊ ऐसी किस्मत होगी !
उम्र भर तेरा दुःख मुझको को खलेगा
हर कदम पे तेरा साया दिखेगा
एक सवाल दिल हमेशा करेगा
क्यों मिले थे हम जब बिछड़ना हमें था !