बहुत दिनों से पूछा नहीं हाल
क्या तू भी बेपरवाह हो गया
प्यार की राह दिखा के मुझे
खुद अपने पथ से गुमराह हो गया ।
सिखाया तो तुमने ही है
दुनिया में बस प्यार ही है
बांधे जो दिल से दिल को
ऐसी कोई डोर भी है ।
है राह दिखाना आसान बहुत
पर उसपे चलना मुश्किल है
खोखले समाज की
सोच बदलना न मुमकिन है
फासले ही अच्छे है
जो होके दूर भी पास है
जो हो नहीं सकता यार मेरे
क्यू उसपे तुझे विश्वास है ।
सच तो आखिर सच ही है
हर राह की न मंज़िल है
इस रंग बदलती दुनिया में
निशब्द होना ही वाजिब है ।