झूला |
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हर दिन का खेला
बच्चो का झूला
होता जिसका इंतज़ार
एक लम्बी कतार
सुबह से दोपहर
दोपहर से शाम
बस खेलना और खेलना
न एक पल का आराम
बार बार गिरना
मिटटी का झड़ना
पूरे दिन की मस्ती
किताबों से कट्टी
याद रह जाएँगी
बचपन की यादें
वो पार्क का झूला
भागना और छुपना
माँ का बुलाना
फिर नया बहाना
घर जाके पिटना
रोना और चिल्लाना
बस अब नहीं खेलेंगे
बार बार दोहराना
सबकी माँ अच्छी है
बस आप ही ख़राब
देखो फिर भी करता हूँ
माँ , मैं आपसे प्यार !