फितरत |
और कितना झूठ है सच में तेरे
फितरत तो तेरी जान ली यार हमने
क्या कहे तुझको ?
तू तो अपनी समझदारी में है !
खो दिया है सबकुछ
फिर भी होशियारी में है !!
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आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...