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मात पिता है संसार जिसके
बुद्धि के देवता जिन्हे सब कहते
जो खाये मोदक मिष्ठान
करे मूषक की सवारी
वही तो अपने गणपति मंगलकारी
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मात पिता है संसार जिसके
बुद्धि के देवता जिन्हे सब कहते
जो खाये मोदक मिष्ठान
करे मूषक की सवारी
वही तो अपने गणपति मंगलकारी
Life इम्तिहान है ये कैसा एहसास है के दर्द भी अब रास है बोझल है आँखें थकान से न जाने किसकी आस है कह रही है झुकते उठते खुद से ही ऐतराज़ ह...