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*** कृष्ण लीला ***
इतनी सरल नहीं
ये प्रेम की गलियां है
क्या मोल दोगे तुम !
यहाँ सब कृष्णा लीला है ।
न काला है न गोरा है
यहाँ बस प्रेम का रंग है।
तू रंगेगा इसी रंग में
जो प्यारे श्याम का रंग है।
ना हार है ना जीत है !
बस कृष्ण के संग प्रीत है
जो रमता इनकी भक्ति में ,
मिलता उसको मन का मीत है।
ना तेरा है ना मेरा है
ये जीवन उसकी रचना है
तू क्या जाने उस छलिया को !
जो सबके दिल पे छाया है।
न खोना है न पाना है
यही सबकुछ रह जाना है।
तू कौन ? तेरी पहचान क्या ?
ये तो ईश्वर की काया है।
जो होना है वही होगा
यहाँ सब उसकी माया है
क्यों सोचना इतना !
जब सर पे उसकी छाया है।।