एक ऐसी भी यारी हो ******************************************* |
चल कहीं और लगाए दिल
नहीं भाती अब कोई महफ़िल
चेहरो पे मुखोटे सबके है
जो है नहीं ये वो दिखते है
मतलब बातों के गहरे है
बस अपनी अपनी कहते है
यहाँ पूरी दुनियदारी है
बस अपनी दुक़ान चलानी है
चल ढूंढे कोई यार अपना
बातों में सच्चाई जिसकी हो
कभी चोट जिगर पे खाई हो
जो तेरा मेरा नहीं करे
ज़ख्मो पे जो मलहम रखे
मैं मान लू उसको यार अपना
एक ऐसी भी यारी हो
दिल जिसका आभारी हो
जिससे मिलके हो ख़ुशी दुगनी
किसी में तो ऐसी दिलदारी हो ।