ज़िद्दी स्वाभाव बचकानी हरकते
अपनी मनमानी और तेवर तीखे
रोते हुए को भी हँसा दे
चेहरा देख के हाल बता दे
कोई बहाना जहां चल न पाए
हर बात पे कसम उठाये
परवाह ऐसी अधिकार जताये
कोई कबतक नज़र चुराए
गुस्से में भी इतना सत्कार
आप के अलावा कोई शब्द न आए
खुद से ज़ादा परवाह करे जो
ऐसे प्रिय को कौन सताए