एक ही जनम में जी ली है कई बार
सफर ऐ ज़िन्दगी में ठहराव नहीं है
बिता हुआ मंज़र है आँखों के सामने
बढ़ चुके है आगे मगर ऐतबार नहीं है
रुकू किसी मोड़ पे तो सवाल है कई
भागते है खुद से या पहचान नयी है
क्या खो दिया है हम भी कभी जान न सके
तलाशती आंखों को कई बार जुगनू दिखे
कहना तो कुछ नहीं है एक शिकवा है ज़रा
क्यू किराये की ज़िन्दगी में एहसान बहुत है
बिता हुआ मंज़र है आँखों के सामने
ReplyDeleteबढ़ चुके है आगे मगर ऐतबार नहीं है jese Dil k bhot krib hai ye line...
बहुत बढ़िया👏👏
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