Saturday, April 01, 2023

कलयुग के रिश्ते # Today's Relations

 कलयुग के रिश्ते







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कलयुग के रिश्तों  का 

इतना सा फ़साना है 


न मुझे कोई मतलब तुमसे 

न तुम्हे ही कोई रिश्ता निभाना है 


मिया बीवी और बच्चे बस 

बाकि सबसे औपचारिकता निभाना है 


और रिश्तों से कोई दरक़ार नहीं 

एक नाम का बोझ उठाना है


अपना खाना ही  मुश्किल है

यहाँ किसको बना के खिलाना है 


अब प्यार नहीं तकरार है

तेरे मेरे की मार है


पैसों ने लेली  जगह सबकी

हाल पूछना भी दुश्वार है


बड़ा परिवार और ज़ादा सुख 

वो तो सपना पुराना है 


हम दो और हमारे दो

इससे आगे क्या किसी को जाना है 


छोटा परिवार और भीड़ कम

अब ये नया नारा है


दादा दादी और नाना नानी 

वो तो गुज़रा ज़माना है


माँ - बाप को पहचान ले बच्चे 

तो समझो गंगा नहाना है  l

1 comment:

  1. बहुत सही और सत्य यही है

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