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माखन चोर नन्द किशोर
नटखट कान्हा और रणछोड़
प्रेम की राह दिखाने वाले
हरी बोल हरी बोल
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माखन चोर नन्द किशोर
नटखट कान्हा और रणछोड़
प्रेम की राह दिखाने वाले
हरी बोल हरी बोल
*सुविचार*
गिरने के डर से
चलना नहीं छोड़ा करते
रास्ता मुश्किल हो तो क्या
उद्देश्य नहीं बदले करते
हार या जीत, दो ही तो ओहदे है
पराजय की डर से कोशिश नहीं छोड़ा करते
अवसर देर से सही मिलते ज़रूर है
निराश होके ज़िन्दगी के कपाट बंद किया नहीं करते
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क्या कहु तुमसे
तुम्हे सब पता है
बिन बोले सब जान लो
तुम में वो कला है
तेरा ही जीवन
प्रभु तेरी ही साँसे
है संपर्पण तुम्ही को
मेरी तो पहचान तुम्ही हो
करू सेवा भक्ति
मैं निष्ठां से तेरी
कृष्णा, कृपा करो ऐसी
जिसमे भलाई हो सबकी
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मात पिता है संसार जिनके
बुद्धि के देवता जिन्हे सब कहते
खाते जो मोदक मिष्ठान
मूषक की सवारी करते गणराज
वही तो हैअपने गणपति महाराज
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समय को अपना समय दो
वही तो अनमोल है
जो आपको ज्ञान दे
उस से बड़ा कौन है
वक़्त पे जो काम आये
वही तो घनिष्ट है
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आपको आपकी उम्र नहीं
आपका बड़प्पन बड़ा बनाता है
झुकने से आपका मान कम नहीं
और बढ़ जाता है
अच्छी संगत से सद्गुण है आते
और जीवन सफल हो जाता है
शिक्षा से है ज्ञान मिलता
जीने का सलीका आ जाता है
प्रेम से है परवाह आती
और जीने का उद्देश्य मिल जाता है।
प्रेणादायक कविता |
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बुरे समय को पीछे छोड़
बढ़ना है आगे की ऒर
बिना रुके ऒर बिना डरे
अपनी मंज़िल की ऒर बढे
राह की रुकावटें
मेहनतो से हट जाएँगी
जटिल परेशानियां
पराक्रम से सरल हो जाएँगी
मूँद ले आंखों को अपनी
लक्ष्य पे ध्यान केंद्रित कर
भूल के अतीत ऒर भविष्य
वर्तमान को मजबूत कर
बस कदम उठा
ऒर कूच कर
जीत होगी ज़रूर
बस खुद पे विश्वास कर
Pls enjoy the short clip of Motivation Quotes
Leaves : पत्तियाँ |
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धूप - छाव से बेखबर
पतझड़ - बसंत से अंजान
पेड़ो पर फिर आयी है कोंपले
लेके एक नयी पहचान
दमकती सी इठलाती हुई
सजी हुई है डाली पे
चमक रही हीरे जैसी
वृक्षों की हर टहनी पे
देख के मन है प्रस्सन हुआ
बच्चा जैसा खिलखिला रहा
इन धानी रंग की पत्तियों ने
दरख्तों को सजा दिया
देखने है इन्हे सारे मौसम
वसंत, ग्रीष्म, वर्षा ,शरद
हेमत और शीत ऋतू
पत्तियाँ है पेड़ का अहम् भाग
इनसे ही पेड़ का भोजन बनता
और जीवो को प्राणवायु मिलता
कोंपले से पत्ती बनने का सफर
अपने आप में है एक सबक
शाखाओं से अपनी जुड़े रहे
स्वय को खुश और व्यस्त रखे l
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कलयुग के रिश्तों का
इतना सा फ़साना है
न मुझे कोई मतलब तुमसे
न तुम्हे ही कोई रिश्ता निभाना है
मिया बीवी और बच्चे बस
बाकि सबसे औपचारिकता निभाना है
और रिश्तों से कोई दरक़ार नहीं
एक नाम का बोझ उठाना है
अपना खाना ही मुश्किल है
यहाँ किसको बना के खिलाना है
अब प्यार नहीं तकरार है
तेरे मेरे की मार है
पैसों ने लेली जगह सबकी
हाल पूछना भी दुश्वार है
बड़ा परिवार और ज़ादा सुख
वो तो सपना पुराना है
हम दो और हमारे दो
इससे आगे क्या किसी को जाना है
छोटा परिवार और भीड़ कम
अब ये नया नारा है
दादा दादी और नाना नानी
वो तो गुज़रा ज़माना है
माँ - बाप को पहचान ले बच्चे
तो समझो गंगा नहाना है l
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...