जीवन का सत्य - मौत पे कविता |
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हक़ीक़त यही है वो दिन भी आएगा
छोड़ पीछे सबकुछ जब जाना पड़ेगा
जो रिश्ते हमें जान से भी है प्यारे
उन्ही को अलविदा कहना पड़ेगा
छूटेगा सब कुछ ये घर और घराना
दोस्तो से अपना मिलना मिलाना
साया भी अपना साथ छोड़ जायेगा
हक़ीक़त यही है वो दिन भी आएगा
ज़िन्दगी भर की मेहनत काम न आएगी
सूझ बूझ सब बेमानी हो जाएगी
धन दौलत सब रखा रह जायेगा
हक़ीक़त यही है की वो दिन भी आएगा
धोखा लगेगा जो जीवन जिया है
हक़ीक़त को जब अपनाना पड़ेगा
सोने सी काया जिसको इतना सजाया
हक़ीक़त यही है उसे खोना पड़ेगा
आंखों में आंसू दर्द सीने में रहेगा
लब पे किसी अपने का नाम सजेगा
चंद सांसे और फिर राम नाम होगा
मिट्टी को अपनी ख़ाख़ होना पड़ेगा । ।
WONDERFUL TRUTH
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर पक्तियों है जो सत्य है .राम राम
ReplyDeleteवाह क्या बात है
ReplyDeleteRam Ram ji
ReplyDeleteजय हो किशोरी जी
ReplyDeleteमौत अलविदा कहने का वक़्त भी नही देती।
ReplyDeleteThanks All :)
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