Thursday, June 30, 2022

मिज़ाजे यार क्या कहिये | Hindi Poetry On Love

मिज़ाजे यार क्या कहिये











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मिज़ाजे यार क्या कहिये

सुबह या शाम क्या कहिये 

पहलु में तेरे बैठे है 

किस्मतें यार क्या कहिये


तबीयतऐ हाल क्या कहिये

रंग है गुलाल क्या कहिये

चेहरे पे चाँद क्या कहिये

ये इश्क़ खुमारी क्या कहिये 


इस मर्ज़ की दवा तो क्या कहिये 

ज़िन्दगी सुकून से बीते तो क्या कहिये

हो दिल में आसरा तो क्या कहिये

रब दे ऐसी किस्मत तो क्या कहिये ।  

Monday, June 27, 2022

Sad lines on Love | Love Quote | Sad poetry

sad lines








तेरे बदलने का अफ़सोस नहीं

दुःख है , के तेरे लिए

हमने खुद को बदल दिया। 

Saturday, June 25, 2022

परहेज़ | NO TO LOVE | MISSING LOVE QUOTE | SAD POETRY | HEARTBREAK

NO TO LOVE

 







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मर्ज़ ये दिल का लगे है

दवा न असर करे है

हो गई है शिकायत सबको

तेरे इश्क़ से परहेज़ कहे है। 


Enjoy Short Poetry On : No To Love 



Tuesday, June 21, 2022

एक ऐसी भी यारी हो | Hindi Poetry On love & Friendship | दोस्ती | Best friends | friendship day poem

 एक ऐसी भी यारी हो

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चल कहीं और लगाए दिल

नहीं भाती अब कोई महफ़िल

चेहरो पे मुखोटे सबके है

जो है नहीं ये वो दिखते है

मतलब बातों के गहरे है

बस अपनी अपनी कहते है

यहाँ पूरी दुनियदारी है

बस अपनी दुक़ान चलानी है

चल ढूंढे कोई यार अपना 

बातों में सच्चाई जिसकी हो

कभी चोट जिगर पे खाई हो

जो तेरा मेरा नहीं  करे

ज़ख्मो पे जो मलहम रखे 

मैं मान लू उसको यार अपना  

एक ऐसी भी यारी हो

दिल जिसका आभारी हो 

जिससे मिलके हो ख़ुशी दुगनी 

किसी में तो ऐसी दिलदारी हो ।  


Friday, June 17, 2022

झूठ | LIE | Short Poetry On Jhoot | Beautiful Quote on LIE | झूठा

TheMisVi.Com




















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सच है !

वो खूबसूरत है उसपे ऐतबार कैसे होगा 

इतनी सफाई से बोलेगा झूठ

के खुद को भी ऐतराज़ न होगा। 

Thursday, June 16, 2022

सोचा है मैं तुझसे कहुँ | Hindi Poetry on Love | Romantic Poetry | करवाचौथ | 14th Feb Valentine's Poem


सोचा है मैं तुझसे कहुँ






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 सोचा है मैं तुझसे कहुँ

आ के तेरे साये में रहु

आइना देखने की चाह न हो 

खुद को तेरी आंखों में दिखू


सोचा है मैं तुझसे कहुँ

पूरे सोलह सिंगार करू

तेरे माथे से लेके तिलक

पिया में अपनी मांग भरु 


सोचा है में तुझसे कहुँ 

थोड़ी ज़िद थोड़ी नाराज़ रहु

और मनाने पे तेरे सजन

जारी अपनी खाइशें करू


सोचा है मैं तुझसे कहुँ

बिन  तेरे मैं कैसे रहु

बुला लो चाहे पास मुझे 

या पास मेरे आ जाओ तुम 

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