Monday, May 30, 2022

वो दिलदार है | Hindi Poetry On Love | इत्मीनान | Short Poetry ON LOVE & FRIENDSHIP

वही दिलदार है












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हर इश्क़ की हो जीत तो क्या बात है 

मिले जिसको विसाल-ए-यार वो कामयाब है

जहाँ इंतज़ार हो ख़त्म वहीँ इत्मीनान है 

एक सच्चा साथी खुदा के समान है

पर जो मंज़िल तक साथ दे 

वही दिलदार है। 


ENJOY SHORT CLIP ON VO DILDAAR HAI 





Thursday, May 12, 2022

तेरे प्यार को धोखे का नाम दे दिया | Hindi Poetry On Love & Life

तेरे प्यार को धोखे का नाम दे दिया 









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तेरे प्यार को धोखे का नाम दे दिया

जब कुछ न कर सके तुझे इलज़ाम दे दिया


वक़्त की साजिशों पे ज़ोर नहीं अपना

ज़िन्दगी को इसलिए एक चाल कह दिया 


बिताया समय मैंने जो साये में तेरे 

उस  वक़्त को घनी धूप की छाँव कह दिया 


क्या सज़ा देते अपनी किस्मत को हम 

फैसलों को इसलिए मंज़ूर कर लिया 


Thursday, May 05, 2022

मेरा दिल मेरी जान ! HINDI POETRY ON LOVE, FRIENDSHIP , DESIRES & MEMORIES | MEMORABLE MOMENTS OF LOVE ...


मेरा दिल मेरी जान ! 








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मेरा दिल और  मेरी जान 

लौटा दो मुझे 

मेरे अरमान 

वो  झूठा  सा  गुस्सा 

और सच्चा वाला  प्यार 

खट्टी मिट्ठी सी बातें 

साथ में  नखरे हज़ार   


कुछ तेरे मेरे सपने  

दिनभर  लड़ते झगड़ते  

न ख़तम होने वाली बातें 

और अपनी मर्ज़ी की शर्ते  


चाय - भुजिआ का साथ

उसपे चर्चे हज़ार 

वो महकता लाल  दुपट्टा 

जिसमे सितारे हज़ार 

मोटरसाइकिल पे मस्ती

और शीशे पे लगी  बिंदी   


पलंग का सिरहाना 

खिलौनों का सजाना 

पास में रखी तस्वीर 

है दिल के बेहद करीब  


 है बस यही यार  

उम्मीद करू इस बार 

 लेके आ जाओ इन सबको

फिर एकबार 

इनकी भी कमी खली 

तुम्हारे साथ साथ  !!




Monday, May 02, 2022

तेरे होके भी तेरे न हुए |Sad Hindi Poetry On Love | Missing | Memories | Love Quotes

तेरे होके भी तेरे न हुए








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इतने कभी मजबूर न हुए

तेरे होके भी तेरे न हुए

क्या शिकायत करते गैरो से 

अपनों से भी वाक़िफ़ न हुए 


आइना फिर न देखा कभी 

जबसे साथ छूटा अपना 

क्या करते श्रृंगार सजन 

जब बहने लगा नैनो से कजरा 


बिन तेरे सावन भी पतझड़ लगे

कोयल की कूक कानो को चुभे 

दिन बीते मानो बरस समान

रातें जैसे सदियाँ लगे


खबर अब सबको होने लगी

इच्छाएं पिंजरे में कैद होने लगी 

था बसेरा जिन दरख्तों पे अपना

किस्मत उन्हें अब उजाड़ने लगी।  

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