Saturday, April 09, 2022

इस धरा से दूर गगन से दूर चले | HINDI POETRY ON LOVE, EQUALITY, UNITY & FREEDOM | IS DHARA SE DOOR GAGAN SE DOOR CHALEIN

 

       HINDI POETRY ON LOVE, EQUALITY, UNITY & FREEDOM


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इस धरा से दूर गगन से दूर चले

गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले


खाइशो से परे उमीदों से बेखबर

हो सुकून जहाँ ऐसी डगर पे चले  


कोई शिकवा गिला किसी को न रहे

जहाँ सब हो एक समान ऐसे गुलिस्तां में चले 


जहाँ  दुख दर्द किसी को छू न सके

चल ऐसी कोई दुनिया बसाने चले 


सब धर्मो पे विश्वास और एकता रहे 

एक मत हो सबका कोई न बंधन रहे


एक ही मंज़िल एक रास्ता रहे

जहाँ प्रेम ही हो भाषा ऐसी आस्था रहे

 

इस धरा से दूर गगन से दूर चले

गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले। 


Pls enjoy the short video on abv poetry




4 comments:

  1. इस धरा से दूर गगन से दूर चले

    गर तुम साथ दो तो नए सफर पे चले।
    राम राम

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  2. वाह बहुत बढ़िया👏👏👏

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