Monday, March 14, 2022

खोखले रिश्ते | Hindi poetry on Divorce | Separation | Breaking Relations of love | Ego & Misunderstandings | Incompatible Relations

खोखले रिश्ते






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तेरा अधिकार ही बहुत था 

मुझको  रोकने के लिए

अफ़सोस तो है के ,

तुमने  कभी आवाज़ न दी । 


दो प्यार के बोल ही काफी थे

टूटे  रिश्तों को जोड़ने के लिए 

तकलीफ तो ये है के ,

तुमने कभी कोशिश न की। 


दूर इतना भी नहीं थे

के पुकारा न गया  !

फासले तो चंद कदमो के थे ,

पर तुमने कभी हिम्मत न की। 


खुद से ज़ादा विश्वास

था जिनपे हमें  !

ताजुब है समय ने 

धारणा बदल दी।  


मंजूर तो न था हमें 

किस्मत का फैसला 

दुःख तो ये है 

अपनों ने नज़रे ही फेर ली। 


हाँ ! 

एक शिकायत रही हमें खुद से 

खोखले रिश्तों की भी यादें 

हमसे भुलाई नहीं गयी।  


5 comments:

  1. क्यो किसी रिस्तो को बदनाम करे

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  2. मैं तूफ़ानों में चलने का आदी हूँ
    तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो

    श्रम के जल से राह सदा सिंचती है
    गति की मशाल आंधी मैं ही हँसती है
    शोलों से ही शृंगार पथिक का होता है
    मंज़िल की मांग लहू से ही सजती है
    पग में गति आती है, छाले छिलने से
    तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो

    मैं तूफ़ानों में चलने का आदी हूँ
    तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो। राम राम

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  3. चाहूं मे तुझे साझ सबेरे क्यों की ..................…..................

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