खोखले रिश्ते |
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तेरा अधिकार ही बहुत था
मुझको रोकने के लिए
अफ़सोस तो है के ,
तुमने कभी आवाज़ न दी ।
दो प्यार के बोल ही काफी थे
टूटे रिश्तों को जोड़ने के लिए
तकलीफ तो ये है के ,
तुमने कभी कोशिश न की।
दूर इतना भी नहीं थे
के पुकारा न गया !
फासले तो चंद कदमो के थे ,
पर तुमने कभी हिम्मत न की।
खुद से ज़ादा विश्वास
था जिनपे हमें !
ताजुब है समय ने
धारणा बदल दी।
मंजूर तो न था हमें
किस्मत का फैसला
दुःख तो ये है
अपनों ने नज़रे ही फेर ली।
हाँ !
एक शिकायत रही हमें खुद से
खोखले रिश्तों की भी यादें
हमसे भुलाई नहीं गयी।
Dupar didi
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्यो किसी रिस्तो को बदनाम करे
ReplyDeleteमैं तूफ़ानों में चलने का आदी हूँ
ReplyDeleteतुम मत मेरी मंज़िल आसान करो
श्रम के जल से राह सदा सिंचती है
गति की मशाल आंधी मैं ही हँसती है
शोलों से ही शृंगार पथिक का होता है
मंज़िल की मांग लहू से ही सजती है
पग में गति आती है, छाले छिलने से
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो
मैं तूफ़ानों में चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो। राम राम
चाहूं मे तुझे साझ सबेरे क्यों की ..................…..................
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