बदलते रिश्ते |
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चाहते थे तेरे रंग में रंगे
अफ़सोस तेरे रंग फरेबी लगे
झूठी दुनिया के खाव्ब मुझे
असल जिंदगी के धोखे लगे
बातें है मोह्हबत की
पर लब पे तो शिकवे दिखे
साथ रहना है जिनके मुझे
रिश्ता क्या है कहते दिखे
गैरो की तो बात अलग है
रूप अपनों के बदलते दिखे
है वक़्त सही तो सब सही
औकात देख फैसले बदलते दिखे।
औकात बहुत जरूरी है नही तो लोग भविष्य के बेहतर की तलाश में अतीत के बेहतर को छोड़ जाते है।
ReplyDeleteसतीश।
Very true Mam
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