Tuesday, March 29, 2022

अरमानो की डोर | ARMANOO KI DOR | Poetry On New Relation, Trust & Love | Friendship & Commitment

अरमानो की डोर








******************************

फिर देखा एक सपना  है

शायद कोई अपना है

बुला रहा है पास मुझे

एक नयी शुरुवात की आस लिए


आँखों में उमंगें जिसकी है

देख के मुझको पूरी होती है

है जिसके दिल में प्यार बहुत

ऐसी सूरत उसकी लगती है 


कौन है जो चाह रहा 

फिर मन उपवन खिला रहा

बेरंग फूलो में डाल के रंग

मेरी जीवन बगिया महका रहा। 


मैं  भी चलदी हूँ उसकी ओर

ले के अरमानो की डोर 

कदम से कदम  है  मिला लिए 

और फासले कम हो गए । 

No comments:

Post a Comment

Favourites

परम पिता परमेश्वर # Jai Shiv Shankar #Shivling

  आज नहीं तो कल बनेंगे  मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात  देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार  परम पिता परमेश्वर ...