मुक्कमल इश्क़ |
*********************************
और क्या क्या करवाएगा
इश्क़ ये तेरा
बेज़्ज़ती, बदनामी और दिल तोडना मेरा
और कितना इंतज़ार करे
यार तेरा
साल , २ साल या उम्र भर तेरा।
किस किस से छुपेगा
हाले दिल अपना
जिक्र होगा जब सरेआम अपना
किस किस से कहोगे
इश्क़ सच्चा था अपना
आएगा सबके सामने जब मसला अपना।
बदनामी के सिवा और कुछ ना मिलेगा
ये इश्क़ है ...
जो अधूरा रह के भी मुक्कमल रहेगा।
Wow your Poem is so Beautiful👌🏻👌🏻😍❤
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता👏👏
ReplyDeleteYe ishq hai jo adhura rehke bhi poora rahega.
ReplyDelete