** जिंदगी - नाटक और किरदार ** |
जिंदगी हर कदम एक नया मोड है
क्या होगा कल बस यही प्रश्न है !
है कभी पहेली तो कभी जिज्ञासा
कभी काली रात तो कभी उजियारा
कभी हंसा दिया तो कभी रुला दिया
बच्चे जैसे मन मेरा ज़िन्दगी ने उलझा दिया
कराके रिश्तों की पहचान मुझे
आँखों से पर्दा हटा दिया
इस जीवन के कितने रंग
और कितने ही पहलु है
जीना है बस यही जीवन
फिर क्यू इतने रूप इसने बदले है
कितने संघर्ष और कितने दिन
क्या कुछ भी है ज्ञात इसे
अबतो आदत पड गयी
जीना है हर हाल इसे !
फिर भी एक तस्सली है
हर रात की सुबह होती है
जीना तो ज़िन्दगी ने सीखा दिया
प्रेम और द्वेष में फर्क दिखा दिया
दिखा दिए सबने अपने रंग
चलना है बस अपने दम
है इसमें भी एक अपना मज़ा
खेल इसका अब समझ आने लगा
पूरा कर मेरा अरमान
करादे अपनी पहचान
या कहदू तुझे फरेब मैं
ज़िन्दगी एक नाटक
और इसका किरदार मैं ।
Keh cu tujhe fareb mein 👍👌🏻
ReplyDeleteKya khub hai zindagi
DeleteFrom Neelu
दिखा दिए सबने अपने रंग ,
ReplyDeleteचलना है बस अपने दम |
ये पंक्तियां उफ़ क्या ही कहा जाए आपकी कविता के बारे में जीवन के वास्तविकता से समय समय पर रूबरू करवाती रहती है।