जीने की चाह |
एक कशमश सी है ज़िन्दगी
क्यों इतनी अजीब सी है ज़िन्दगी
जो चाहा वो पाया नहीं
जो होना था हुआ नहीं।
किस बात का गुमान करे
ज़िन्दगी किसी की सगी तो नहीं
हर बात पे आहें भरते है
इसकी लिखी ही करते है।
क्या कहे ये कड़वा सच है ,
गुलाब सी ज़िन्दगी काँटों से घिरी है ।
कभी लगे समुन्द्र सी शांत
विशाल गहरी और जिंदगी लिए हुए
जिसका थाह न लगाया जा सके
ज़िन्दगी के रंग तो बहुत है दोस्तो
पर सबकी ज़िन्दगी लगती बेरंग है
किसी न किसी वजह से परेशान है हर कोई
देखना है और जीतना है हर चाल को इसकी
क्या पता थक जाये ये अपनी आदतों से
और जीत जाये हम ज़िन्दगी को जीने की चाह में !
बहुत सुंदर 👌👌👌
ReplyDeleteJeet Jaye ham zindagi ...jine Ki chah mein ✌✌
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