बेज़ार |
क्या लिखा है तूने कभी पढ़ लिया होता ,
मुझे ज़िन्दगी देने से पहले
तू भी इसे जी लिया होता ।
एक एहसान मुझपे भी कर दिया होता
कभी मेरे साथ आके
तू भी रह लिया होता ।
समझते हम भी तुझको ऐ ...खुदा !
ये जीवन भी तूने
अगर जी लिया होता ।
जब दूर तक कोई दिखाई नहीं देता ,
फिर तुझे भी अपनी किये
पे पछतावा होता ।
बस एक जवाब देदे मेरे खुदा मुझे ,
तेरी ज़िन्दगी क्यों मुझको
बेज़ार सी लगे ।
Ram Ram
ReplyDeleteकाश की इस ज़िन्दगी को थोड़ा खुलकर जी लिया होता।
ReplyDeleteकभी मेरे साथ आके तू भी रह लिया होता ।
ReplyDeleteफिर तुझे भी अपनी किये पे पछतावा होता
मुझे ज़िन्दगी देने से पहले तू भी इसे जी लिया होता l
हर दिन ब्यजत जीवन भी तूने अगर जी लिया होता ।
Love your poetry....bless you
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