चुप है और चंचल भी ,
लगती हंसमुख कुछ अपनी सी
एक अनकही कहानी है ,
ये लड़की जानी पहचानी है ।
है एक पहेली सी !
रहती है शरमायी सी
अपने को खुद में समेटे हुए
दिखती है हर शाम मुझे ।
एक नया रंग लिए हुए । ।
आवाज़ है सुनी हुई
एक झंकार ली हुई ,
आँखें भी है ठहरी हुई ,
कुछ मुझसे कहती हुई ।
सोचता हूँ पूछ लू !
क्यों इतनी ख़ामोशी है ,
है किसी का इंतज़ार !
या फिर यही ज़िन्दगी है ।।
Bhot santi or shor hai aapki poem me bikul ek behti nadi ki trh......k
ReplyDeleteअब किसी का इंतजार नहीं।
ReplyDeleteज़िन्दगी ही ऐसी हो गयी है एकदम शांत।
Soo True
ReplyDeletePaheli......Mast hai
ReplyDeleteLovely 😍..pray to God that everything will be good in your life.
ReplyDeleteBy Neelu
Love your blog, soo creative....
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