Saturday, December 18, 2021

किनारे | KINARE | Hindi Poetry on Distance Relationship | Love Relations

Kinare 







फासले किनारों के बस यूँ ही बढ़ गए

एक दूसरे से मिलने की चाह में 

कितने आगे निकल गए । 

गहराई भी तो नापी न गयी नदी की कभी

कोशिशे  की भी तो बस रेत हाथ लगी । 


एक सोच का फर्क जो बदल न सका 

कमी तो पुल की थी जो कोई बन न सका  । 

खाइशें किनारों की आखिर  बदल गयी

किस्मत के आगे उनकी न चली । 


अबतो नदी के किनारे भी बदल गए  

जो पहले किनारे रहते थे , 

वो अब किनारे कर गए । । 


#Short video on Kinaare...









5 comments:

  1. सवाल केवल सोच का था जो बदल न सका ।

    बहुत बढ़िया लिखा है।

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  2. गहराई भी तो नापी न गयी नदी की कभी

    कोशिशे की भी तो बस रेत हाथ लगी
    राम राम

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