Tuesday, December 14, 2021

नशा परहेज | AVOID INTOXICATION | POETRY ON TEACHINGS & REGRET OF AN ADDICT PERSON TAKING ALCOHOL | POETRY ON BAD HABBITS LIKE ALCOHAL AND OTHER DRUGS

NASHA PARHEJ






भटक गया मैं अपनी राह से

ख़ुशी और गम मे !

आ गया बातों मे दोस्तो 

पिछड़ गया अपने लक्ष्य से । 


खो गया सिगग्रेट के धुएँ

और ताश के पत्तो मे  !

डुबो दिया खुद को मैंने 

शराब की लत मे । 


रहना था नशे से दूर 

इसके ही करीब हो गया !

चौपट कर भविष्य अपना

एक नसेड़ी बन  गया । 


धूम्रपान की आदत ऐसी लगी मुझे 

फिर न किसी की बात सही लगी मुझे  !

घर परिवार से दूर लड़खड़ाता मैं रहा 

अनजान सड़कों पे न जाने कब सो गया। 


कहाँ  गिरा पता नहीं 

जो चोट लगी उसका अंदाज़ा नहीं  !

हर दिन एक नया झूठ बोल के 

में  अपनी नज़र से ही गिर  गया । 


गलती अपनी न सुधार सकूँ

ना किसी का आदर्श बन सकूँ  !

नशे से हो गया साथ मेरा !

जो उतरने से पहले ही चढ़ गया 


घर ग्रहस्ती सब ख़तम हुई 

इज़त मेरी बेइज़्ज़ज़त हुई !

पत्नी बच्चे है सब दुखी 

अपनी ज़िन्दगी मैंने खुद बर्बाद की  


हूँ आगे बहुत निकल चुका !

नशे में  डूबा हुआ 

सही गलत में फरक नहीं 

अब रहा मैं सामाजिक नहीं  


है सबके लिए सन्देश मेरा 

जो हाल हुआ मेरा वो अपना न करना 


आगे है हम सबको बढ़ना  

नशे  की आदत से परहेज़ करना   । 

है अपने जीवन को सुखमय बनाना  

शराब और सिगरेट से दूर हरहना ।  


बनो एक जिम्मेदार तुम

निभाओ बेटे का फ़र्ज़ तुम  । 

किस्मत से मिला है ये जन्म 

बनो किसी  का सहारा तुम  । 


कुल का दीपक वही है जो 

नाम करे अपने कुल का  !

श्रवण कुमार न बन सको तो क्या 

अहम्  है काबिल इंसान बनना   । 


हो फ़क्र बेटे पर जिस माँ को 

ऐसी तुम संतान बनो   । 

किसी के राहों का दीपक बन 

जीवन अपना सफल करो ।  । 



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