Wednesday, December 29, 2021

श्री कृष्णा भक्ति | KRISHNA BHAKTI | KANHA STATUS | RADHEY KRISHNA

  Shri Krishna Bhakti 



मैं  हार के सबकुछ जीत गयी  !

कान्हा  तुझ संग जो प्रीत लगी  । 

ये  दुनियादारी सब झूठ लगे   !

होता तुझपे ऐतबार मुझे  !

अबतो अपनी शरण में लेलो   

भगवन ! मुझको भी दर्शन देदो ।।

 

Kindly Listen Short Bhajan On Shri Krishna

 


Sunday, December 26, 2021

जीवन सफ़र - JIVAN SAFAR |The Real Life


जीवन सफ़र







किसी को मिली धूप

तो किसी को छाँव मिल गयी  ,

किसी को हरयाली ज़मीन 

तो किसी को बंज़र मिल गयी । 


दोष तो किसी का नहीं

ये तो वक़्त की माया है

कभी नाँव पानी में

कभी नाँव में पानी समाया है । 


किसी ने पाए मोती 

 तो किसी को मिली रेत

गहरा ये जीवन समुन्दर

बस नसीबो का है खेल। 


किसी की नैया डूबी  

तो किसी की पार लग गयी  

कभी खुशियां  रही मुट्ठी में

तो कभी रेत सी फिसल गयी 


है बस एक मिटटी की काया !

जिसपे तू इतना इतराया

और कुछ नहीं  है पास तेरे ,

जो है बस ईश्वर का साया !!



Thursday, December 23, 2021

झूला | JHULA | KIDS POEM | बच्चों की कविता | CHILDHOOD MEMORIES | CHILDREN'S LIFE | PLAYGROUND | FUNTIME

 झूला






CHILDREN'S LIFE







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हर दिन का खेला 

बच्चो का झूला  

होता जिसका इंतज़ार

एक लम्बी कतार   


सुबह से दोपहर

दोपहर से शाम

बस खेलना और खेलना

न एक पल का आराम   


बार बार गिरना

मिटटी का  झड़ना 

पूरे दिन की मस्ती 

किताबों से कट्टी


याद रह जाएँगी 

बचपन की यादें  

वो पार्क का झूला 

भागना और छुपना 


 माँ का बुलाना 

फिर नया बहाना 

घर जाके पिटना

रोना और चिल्लाना  

बस अब नहीं खेलेंगे 

 बार बार दोहराना 


सबकी माँ अच्छी है

बस आप ही ख़राब 

देखो फिर भी करता हूँ  

माँ , मैं आपसे  प्यार  !

Wednesday, December 22, 2021

PAHELI | HINDI POETRY ON A GIRL | LIFE | WAITING PERIOD | SILENCE | LOVE








चुप है और चंचल भी  ,

लगती हंसमुख कुछ अपनी सी 

एक अनकही कहानी है ,

ये लड़की  जानी पहचानी है  । 


है एक पहेली सी !

रहती है शरमायी सी 

अपने को खुद में समेटे हुए 

दिखती है हर शाम मुझे । 

एक नया रंग लिए हुए । । 


आवाज़ है सुनी हुई 

एक झंकार ली हुई ,

आँखें भी है ठहरी हुई ,

कुछ मुझसे कहती हुई । 


सोचता हूँ  पूछ लू !

क्यों  इतनी ख़ामोशी है ,

है किसी का इंतज़ार !

या फिर यही ज़िन्दगी है ।।

Tuesday, December 21, 2021

वृन्दावन धाम | कृष्णा भक्ति |DEVOTIONAL POETRY ON SHRI KRISHNA | FAITH IN GOD | RAINBOW COLOURS OF GOD


krishna Bhakti










तेरी राह पे जबसे है चल पड़े  !

बस कदम मेरे तेरी और बढ़े । 


कोई पूछे अगर के जाना कहाँ ?

 कह दू वृन्दावन मैं धाम तेरा  । 


है कैसी कशिश तुझमे ये तो बता ?

ध्यान रहे तुझपे क्यू मेरा सदा !


देखती तुझको मैं  रह जाऊ !

सौंप तुझको सब निश्चिन्त हो जाऊ 


लीन हो जाऊ तेरी भक्ति में मैं ,

और इंद्रधनुषी रंगो में तेरे रंग जाऊ  


मन चाहे तेरी शरण में रह जाऊ !

बनु रज तेरे चरणों की और तर जाऊ ।  


Kindly Listen Short Bhajan On Shri Krishna


Saturday, December 18, 2021

किनारे | KINARE | Hindi Poetry on Distance Relationship | Love Relations

Kinare 







फासले किनारों के बस यूँ ही बढ़ गए

एक दूसरे से मिलने की चाह में 

कितने आगे निकल गए । 

गहराई भी तो नापी न गयी नदी की कभी

कोशिशे  की भी तो बस रेत हाथ लगी । 


एक सोच का फर्क जो बदल न सका 

कमी तो पुल की थी जो कोई बन न सका  । 

खाइशें किनारों की आखिर  बदल गयी

किस्मत के आगे उनकी न चली । 


अबतो नदी के किनारे भी बदल गए  

जो पहले किनारे रहते थे , 

वो अब किनारे कर गए । । 


#Short video on Kinaare...









Tuesday, December 14, 2021

नशा परहेज | AVOID INTOXICATION | POETRY ON TEACHINGS & REGRET OF AN ADDICT PERSON TAKING ALCOHOL | POETRY ON BAD HABBITS LIKE ALCOHAL AND OTHER DRUGS

NASHA PARHEJ






भटक गया मैं अपनी राह से

ख़ुशी और गम मे !

आ गया बातों मे दोस्तो 

पिछड़ गया अपने लक्ष्य से । 


खो गया सिगग्रेट के धुएँ

और ताश के पत्तो मे  !

डुबो दिया खुद को मैंने 

शराब की लत मे । 


रहना था नशे से दूर 

इसके ही करीब हो गया !

चौपट कर भविष्य अपना

एक नसेड़ी बन  गया । 


धूम्रपान की आदत ऐसी लगी मुझे 

फिर न किसी की बात सही लगी मुझे  !

घर परिवार से दूर लड़खड़ाता मैं रहा 

अनजान सड़कों पे न जाने कब सो गया। 


कहाँ  गिरा पता नहीं 

जो चोट लगी उसका अंदाज़ा नहीं  !

हर दिन एक नया झूठ बोल के 

में  अपनी नज़र से ही गिर  गया । 


गलती अपनी न सुधार सकूँ

ना किसी का आदर्श बन सकूँ  !

नशे से हो गया साथ मेरा !

जो उतरने से पहले ही चढ़ गया 


घर ग्रहस्ती सब ख़तम हुई 

इज़त मेरी बेइज़्ज़ज़त हुई !

पत्नी बच्चे है सब दुखी 

अपनी ज़िन्दगी मैंने खुद बर्बाद की  


हूँ आगे बहुत निकल चुका !

नशे में  डूबा हुआ 

सही गलत में फरक नहीं 

अब रहा मैं सामाजिक नहीं  


है सबके लिए सन्देश मेरा 

जो हाल हुआ मेरा वो अपना न करना 


आगे है हम सबको बढ़ना  

नशे  की आदत से परहेज़ करना   । 

है अपने जीवन को सुखमय बनाना  

शराब और सिगरेट से दूर हरहना ।  


बनो एक जिम्मेदार तुम

निभाओ बेटे का फ़र्ज़ तुम  । 

किस्मत से मिला है ये जन्म 

बनो किसी  का सहारा तुम  । 


कुल का दीपक वही है जो 

नाम करे अपने कुल का  !

श्रवण कुमार न बन सको तो क्या 

अहम्  है काबिल इंसान बनना   । 


हो फ़क्र बेटे पर जिस माँ को 

ऐसी तुम संतान बनो   । 

किसी के राहों का दीपक बन 

जीवन अपना सफल करो ।  । 



Monday, December 13, 2021

कमज़ोर डोर | # HINDI POETRY ON MISUNDERSTANDINGS


कमज़ोर डोर 










कमज़ोर डोर -   Divorce Or Sepration 









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कहनी थी तुमसे बात जो, वो अधूरी रह गयी 

खाई थी जो कसम वो कसम भी रह गयी 

सवाल ऐसे थे के कुछ  कह न सके हम 

जो कटी रात आंखों में वो रात रह गयी


गलतफैमियूं का इलाज  कर न सके हम   

जो सच थी  बात  वो अनकही ही रह गयी

क्या खबर थी के धोखा होगा हमें  

आइना भी चेहरा अलग दिखायेगा हमें


पछतावा है अपने अभिमान पे हमें 

मान रहे थे जिसे अपना वही सजा देगा हमें 

ऐसी भी क्या मजबूरी कभी बात न हुई 

दूरी इतनी भी न थी के तय न हुई 


रिश्ता तो क्या निभता यार अपना !

डोर तो पहले ही कमज़ोर थी गांठ और पड़ गयी।  

Saturday, December 11, 2021

आदत | HABBIT OF LOVE | ROMANTIC POETRY | POETRY FOR VALENTINE | FRIENDSHIP DAY

Pls Listen Habbit - of love to experience  more realistic poetry  by single click on below Image .



आंखों को तुझे देखने की आदत सी हो गयी !

हर दिन तेरे साथ गुज़रे ये फरियाद हो गयी । 

अब जी न सकेंगे यार तेरे बैगर

तू मेरे जीने की वजह जो हो गयी  ।    

    

ये कैसा प्यार हुआ मुझको मेरे यार ?

के  खुद को भूलने की  बात आम हो गयी । 

तेरी ही फ़िक्र में बीते मेरे तो दिन और रात !

ज़िक्र तेरा ही हो चाहे  रहूं किसी के साथ । 


तेरे होने से जो चेहरे पे मुस्कान है मेरे  !

तेरी कही  हर बात मेरे लिए ख़ास हो गयी। 

बिगड़ गयी आदते  मेरी साथ रह के तेरे !

आदतों को मेरी तेरी आदत जो पड़ गयी । ।


हो जैसे फूलो संग खुशबू और सावन संग बरसात ,

वैसे ही मैं भी तेरे संग रह  गयी  । ।  


Aadat - Of Love

Friday, December 10, 2021

वजह | WAJAH | Reason Of Living | Short Love poetry

WAJAH

     आंखों को तुझे देखने की          

     आदत सी हो गयी

     हर दिन तेरे साथ गुज़रे ये

     फरियाद हो गयी    ,

     अब जी न सकेंगे यार 

     हम  तेरे बैगर

    तू मेरे जीने की

    वजह जो हो गयी  ।                                              

                                                      




 

Wednesday, December 08, 2021

बता दे मुझे | BATA DE MUJHE | HINDI KAVITA | LIVING TOGETHER | LOVE & HAPPINESS

Pls Listen BATA DE MUJHE to experience  more realistic poetry  by single click on below Image .


एक बार फिर बता दे मुझे ,

है कितना प्यार मुझसे जता दे मुझे । 

माना के ज़रूरत नहीं दिखावे की तुझे  !

फिर भी दिल बहलाने के लिए बता दे मुझे ।  


जानती हूँ ! दुआओं में  तेरी में ही तो हूँ  !

क्यू न फिर एक बार खुदा से मांग ले मुझे । 

है तनहा  तू भी इस जहान में  ! 

आ साथ दे मेरा और अपने गम देदे मुझे ।  


ये इश्क़ ही तो ज़िन्दगी है जो जी रहे है हम  !

भूल जा इसमें खुद को और गले लगा ले मुझे ।। 

इन दूरियूं  को अपनी नज़्दीकियूं में बदल दे  !

और बाकी की ज़िन्दगी आ मिल के जी ले ।।।। 

 

Bataa De Mujhe 


Tuesday, December 07, 2021

विश्वास | VISHWAS | Short Poetry On Love & Trust | Ehsaas | दोस्त | FRIENDSHIP


एहसास      **********

कोई कैसे बताये के कितना प्यार है !

हर वक़्त जो साथ रहे ऐसा एहसास  है !

यूं नहीं थामा है हाथ तेरा दोस्त !

खुद से ज़्यादा मुझे तुझपे विश्वास है । 

Vishwas 


कल | KAL | Short Poetry On Past | Missing | Memories | Truth Of Life



       Short Poetry On Past


क्या खबर थी की ऐसा वक़्त होगा

जो सोचा न कभी वो हक़ीक़त होगा ,

जो रहता था आंखों के सामने हमेशा

वो आज एक बीता हुआ कल होगा !!

Sunday, December 05, 2021

कॉंच का टुकड़ा # KAANCH KA TUKDA # Memories Of Past

            कॉंच का टुकड़ा








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ये दर्पण मुझसे अब खेलने लगा 

बीते समय में मुझे  ले जाने लगा 

हटती नहीं है नज़र इससे अब 

मुझे मेरे अतीत से मिलाने लगा । 


कभी माँ की ममता से मिला दिया 

और पलकों को मेरी भिगो दिया। 

कभी बचपन मुझे फिरसे दिखा दिया 

जिसको भूले मुझे एक ज़माना हुआ । 


कभी पुराने दोस्तो से मिला दिया 

बिंदास ज़िन्दगी को दिखा दिया। 

कोई हसीं खवाब जैसे में देखने लगी 

फिर न आईना से मेरी नज़रे  हटी। 


मुस्कुराती हुई एक छवि भी दिखी 

साथ रहने के जिसके संग कस्मे हुई

कैसे बीते थे दिन कैसे बीती थी रात 

दर्पण भी खुश था देख के ऐसा प्यार। 


एक सजी हुई दुल्हन भी मुझको दिखी  

भूल बाबुल का घर जो पी घर चली। 

जो  बंधी थी बस प्यार के बंधन से ही 

जानती थी बस प्रेम की भाषा को ही। 


थे अरमान जिसके बस मिलके चले 

बीती ज़िन्दगी को भूल बस खुश रहे। 


क्या पता था अंजाम क्या होगा ?

शीशा जिसके साथ खेल रहा था 

वो एक कॉंच का टुकड़ा होगा।



Thursday, December 02, 2021

दोस्ती | Friendship | Love | Hindi Poetry on Friends | Poetry on Happy Friendship day



Pls Listen DOSTI  to experience  more realistic poetry  by single click on above  Image .


हर शाम साथ गुज़ारी है 

ज़िन्दगी थोड़ी नहीं पूरी तूने बिगाड़ी  है 

और कितनी तारीफ करे दोस्त तेरी हम 

एकसाथ रहने के लिए मार भी हमने खाई है 


हर दिन एक नया झूठ बोला है 

दोस्ती को कभी न तोला है  

तेरे साथ रहने के लिए दोस्त मेरे

हॉलिडे को भी वर्किंग बोला  है 


इतनी शिद्दत से तो पढाई न की कभी 

जितनी शिद्दत से निभी दोस्ती अपनी  

माना शिकायत रही सबको हमसे बहुत  

फिर भी  बरक़रार रही  दोस्ती अपनी 


साथ रहे हम हमेशा 

दुआँ है यही 

बस दोस्ती को अपनी 

कभी नज़र लगे नहीं । 


 


Wednesday, December 01, 2021

Poetry On Love | Poetry on Friendship # दिल के पास

दिल के पास


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तू दिल के इतने पास है

के तेरी चाहत का एहसास है

तू बेशक मुझपे  विश्वास न कर

पर मुझको सिर्फ तुझसे प्यार है।


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