Saturday, November 13, 2021

मजबूर |MAJBOOR | HINDI KAVITA












क्यों इतना मजबूर है 

हाथ कलम है  मेरे पर शब्दों से दूर है । 

क्यों इतना मजबूर  है 

रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।  


क्यू इतना मजबूर है 

करीब है तेरे पर नज़रों से दूर  है। 

क्यों इतना मजबूर है 

मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है  । । 


क्यों इतना मजबूर है 

मोती की तरह सीप से दूर है   । । 

क्यों इतना मजबूर है 

तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है    । । । 





2 comments:

  1. 👏👏👏👏👏👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👍👍👍👍👍😚😚😚😚😚😍😍😍😍😍❤❤❤❤❤💝💝💝💝💝💓💓💓💓💓

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  2. Waah kya likha hai aapne mazaa aa gaya
    Well done 👏

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