क्यों इतना मजबूर है
हाथ कलम है मेरे पर शब्दों से दूर है ।
क्यों इतना मजबूर है
रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।
क्यू इतना मजबूर है
करीब है तेरे पर नज़रों से दूर है।
क्यों इतना मजबूर है
मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
मोती की तरह सीप से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है । । ।
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ReplyDeleteWaah kya likha hai aapne mazaa aa gaya
ReplyDeleteWell done 👏