बीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे पाएंगे ,
जितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे ।
चाहेंगे जो कभी भूलना तो मुमकिन ना कर पाएंगे ,
पहुंचेंगे उसी मोड़ पे जहाँ से लौट नहीं पाएंगे ।
मिलना तो एक खवाब है जो पूरा न हो सकेगा ,
वैसे ही जैसे कस्तूरी को मृग ढूंढता फिरेगा।
एक चाह रह जाएगी बस तेरे पास ,
झूठी ही सही दिला देना आस ।।
कह देना के मिलना होगा फिर एक बार ,
वैसे ही जैसे रहता है एक तारा चाँद के पास ।।।।
Wow superb poem
ReplyDeleteGood work Vinita
ReplyDeleteबीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे पाएंगे ,
ReplyDeleteजितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे ।
to q bhulna chahte ho aap hme bhul gye to
hm to apke or aapki poem ke bina berang ho jayenge.......k