दुःख - दर्द |
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ये दर्द सुकून देता है
ये तकलीफ भली लगती है
इस दुःख से शिकायत कैसी ,
ये ख़ुशी जान लेती है।
ये दर्द जिया है मैंने
इसकी अब मुझको आदत है
न जाने ख़ुशी कैसी होगी ,
जो सिर्फ सुनाई देती है।
हाँ , जी है मैंने थोड़ी से
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी
फिर भी दुःख का मज़ा लिया ,
जो मुझे छोड़ कभी गया नहीं।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है |
में सुखी खुद को समझाता हूँ
जो दुःख मेरे संग रहता है
में इसको खूब समझाता हूँ ,
ये मुझको खूब समझता है ।
मैंने अब इससे दोस्ती कर ली
ये मुझको प्यारा लगता है
ये नहीं रहता जब पास मेरे ,
कुछ खाली खाली लगता है
दोस्तों सच पूछो तो
दुःख मेरा सच्चा साथी है
मेरे सारे संगी छूट गए !
बस इसकी यारी बाकी है।
ये सुख मुझे ख़ुशी क्या देगा ,
जब दुःख का पलड़ा भारी है ।।
MisVi Poetry |
एक नई सोच...
ReplyDeleteशुझ का महत्व भी दुःख के अस्तित्व से ही है अगर दुःख न हो तो सुख अर्थहीन हो जाता है।
सतीश।
Nice
ReplyDeleteबिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं
ReplyDeleteGood nice topic
ReplyDelete👏👏💖💖👌🏻👌🏻🤗🤗👍👍
ReplyDeletevery well explained
ReplyDeleteek dm shi kha aapn dukh hi schha sathi hai,, qki dukh ki ghari me hi apno ka pta chlta hai.......k
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