Tuesday, November 02, 2021

बचपन की राहें ( हिंदी कविता ) | Childhood Memories | Missing Childhood # बचपन की यादें # LIFE OF CHILDHOOD


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बचपन की राहें









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कोई बता दे इस दिल को कैसे अब में सँभालू 

फिर कैसे इसको कैद करूं फिर कैसे इसको मना लूं  


कैसे पूरी करूं यह ख्वाहिश फिर से बचपन जी पाने की

फिर से गुड्डी गुड्डू के संग रेत के महल बनाने की   


फिर वापिस उन गलियों में जाके खो जाने की

और दिन भर खेल खेल के वापिस थक के सो जाने की   


बचपन की राहें पीछे छूटीं सब चेहरे अब अनजाने हैं 

जो जाने पहचाने लगते थे अब बस वो अफ़साने हैं   


फिर भी दिल को समझाती हूँ के समय हैं पीछे छूट गया 

तू आज भी छोटा बच्चा है जब तेरा बचपन बीत गया 


अब भूल जा सारी यादों को जो सिर्फ तुझे याद आती है 

आ जिले अब इस पल को जिसमें जीवन बाकी है      

4 comments:

  1. अपने सच में बहुत ही खूबसूरत कविता लिखी है। अब तक कि बेहतरीन कविताओं में से एक कविता है।

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